प्रेम परमात्मा का स्वरूप है , प्रेम का जो अनुभव है वो देने का अनुभव है। मात्र वे लोग ही प्रेम का अनुभव कर पाते हैं – जो दे सकते हैं, अन्यथा अनुभव नही कर पाते प्रार्थना का जो अनुभव है वो देने का अनुभव है । वे ही लोग प्रार्थना का अनुभव कर पाते हैं – जो अपने को परमात्मा के चरणों मे दे पाते हैं । यह बात हर्रावाला देहरादून में स्वर्गीय सुदामा प्रसाद भट्ट जी की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण चतुर्थ दिवस पर ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई ने व्यक्त करते हुए कहा एक वैज्ञानिक, एक चित्रकार को एक आनन्द की प्रतीति होती है, क्योंकि वह अपने समस्त जीवन को विज्ञान तथा कला के लिए दे पाता है । जहां इस संसार मे आनंद का अनुभव है , वहां पीछे सदा दान खड़ा रहता है । अतः श्री कृष्ण जी कहते हैं की श्रेष्ठ है वह पुरुष जो पूर्व बांट देता है और फिर जो बच जाता है । उसे ही अपना भाग मान लेता है किन्तु सदा ही बच जाता है, उनके पास जो बहुत देने मे समर्थ हैं। को बहुत रोकने में समर्थ हैं उनके पास कभी कुछ भी नही बचता । जो व्यक्ति रोकने मे इतना समर्थ है कि कभी किसी को कुछ नही दिया, पक्का समझना की वह व्यक्ति अपने को परमात्मा को नही दे पाएगा जिसको देने की प्रवृत्ति नही है वह अपने को भी वंचित रख लेगा । वह मात्र वस्तु के संभाले हुए मर जायेगा। आनन्द सुख इसलिए बांटा जां सकता है क्योंकि अन्य उसे पाने को उद्यत है। दुख बांटा नही जा सकता , क्योंकि दुख लेने को कोई तैयार नही है। आनन्द इसलिए बढ़ेगा की जब आप दुसरे को आनन्द देगें। वहीं मेयर श्री सुनिल उनियाल गामा ने कहा हम देवभूमी के लोग हैं स्वभाव से सरल दुसरे के हित करने की भावना रखते हैं। इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों के द्वारा नई पीढ़ी को अपनी व अपने संस्कारों की पहचान होती है, संस्कार ही हमारी संपत्ति है इसलिए बच्चों को बचपन से ही धार्मिक संस्कार सिखाने आवश्यक हैं, धर्म जोड़ता है अधर्म तोड़ता है जहां तोड़ने और टूटने की बात होती है वह अधर्म कहलाता है। आयोजन कर्ताओं के द्वारा कृष्ण जन्म उपलक्ष में सुन्दर उत्सव जैसा माहौल बनाया गया मिश्री प्रसाद बालकृष्ण की झांकी निकाली गयी वहीं वहीं रेखा धस्माना उनियाल के भजनों ने वातावरण को भक्तीमय कर दिया आज उपस्थित मेयर सुनिल उनियाल (गामा), पूर्व राज्य मंत्री राजपाल रावत भाजपा के संजय चौहान, पूर्व जिलापंचायत सदस्य पुष्पा वर्थवाल प्रसिद्ध लीकपार्षद विनोद कुमार , प्रसिद्ध लोकगायिका रेखा धस्माना उनियाल आचार्य दिनेश नौटियाल, सुरेश भट्ट, ललित भट्ट, नवीन, प्रवीण, मुकेश, धूर्वनारायण केमनी, सतीश, कृष्णकुमार जुगरान, प्रसन्ना काला, प्रेमप्रकाश कुकरेती, भगवती प्रसाद कपरुवान, सुशील ममगाईं, मनोज ममगाईं, घनानंद गोदियाल, राजेंद्र भंडारी, बलवंत सिंह रावत, मीना भट्ट, अश्वनी मुण्डेपी माधुरी,पूनम, प्रीती, रचना, अर्चना, चंद्रप्रकाश प्रसन्ना, मीना कुकरेती, आदि मौजूद रहे।