उछना में भण्डारे के साथ कथा कथा विराम
सूदूर क्षेत्र से लोगों नें आकर कथा का श्रवण किया वायव्य संहिता के उद्धव प्रसङ् पर दतात्रेय जी के 24 गुरूओं का वर्णन में ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी उतना ग्राम रूद्रप्रयाग शिव शक्ति के रावल स्वर्गीय कुंवर सिंह रावत और गुमान सिंह रावत जी की पुण्य स्मृति में आयोजित भागवत कथा के समापन दिवस में कथा के माध्यम से गौ गंगा गौरी रक्षा का सन्देश देते कहा कि हमारा मन
वह मन और इंद्रियों से परे, निर्मल, विनाशरहित, निर्विकार, सीमारहित और सुख की राशि है। वेद ऐसा गाते हैं कि वही तू है, (तत्वमसि), जल और जल की लहर की भाँति उसमें और तुझमें कोई भेद नहीं है
ईश्वर न तो दूर है और न अत्यंत दुर्लभ ही है, बोध स्वरूप एकरस अपना आत्मा ही परमेश्वर है, नाम और रूप विभिन्न दिखते हैं, आचार्य ममगांई जी कहते हैं
धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है, उसे श्रेष्ठ तरीक़े से बताने वाला उससे भी दुर्लभ, श्रद्धा से सुनने वाला उससे दुर्लभ, और धर्म का आचरण करने वाला सुबुद्धिमान् सबसे दुर्लभ है, भगवान् व्यवस्था नहीं जीवन की अवस्था देखते हैं, वो व्याकुलता देखते हैं, भगवान् के लिये तड़प चाहिये,आज इस अवसर पर मुख्य रूप से नागेन्द्र देवता देवता के रावल वसन्त सिंह रावत मंगला देवी रावत प्लान उरोली डाक्टर संगय सिंह राणा पूर्व प्रधान दरम्यान सिंह राणा प्रवल सिंह राणा प्रबल रावत नैन सिंह रावत महावीर रावत धन सिंह रावत अवतार सिंह रावत पुष्कर रावत दलवीर भंडारी सोहन सिंह ग्राम प्रधान ,मुकेश सिंह सुमेर सिंह रावत खुशहाल कपूर सिंह काथक सिंह दीपा रावत दिगम्बर रावत गुडू वैशाख सिंह बक्तावर सिंह रावत नागेन्द्र ममगाईं किशन सिंह रावत सौकार सिंह पंवार खेम सिंह मनोज लक्ष्मण सिंह मनोज शिव सिंह रावत अजय सिंह धन सिंह सिता नेगी सौकारी कैन्तुरा गुडी पंवार रमला रावत सुशमा आशा गेडुड़ी प्रमीला रावत आचार्य भानु प्रसाद ममगाईं आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य राम प्रसाद ममगाईं आचार्य आशिष ममगाईं आचार्य अंकित केमनी आचार्य अशोक शर्मा आचार्य संदीप ममगाईं आचार्य सुनील शुक्ला आचार्य सुरेश जोशी आदि भक्त गण उपस्थित रहे।।