पौड़ी:संसार में आये हो तो सबको आनंद देनें वाली भावना रखो जो सबको आनंद दः वही नंद और सबको यश देने वाली भावनाओं का नाम यशोदा है वहीं भगवान अनुकूल परिस्थित के रूप में आते हैं आजकल लोग वहां से हंसते और अंदर से कुढ़ते हैं वही पुतना है जिसका अंदर खोट बहार से सुन्दर दिखे यह बात पौड़ी कल्जीखाल ब्लॉक के अन्तर्गत चौपड़ा गांव में द्वारीखाल ब्लॉक प्रमुख महेंद्र सिंह राणा कल्जीखाल ब्लॉक प्रमुख बिना राणा ने और उनके भाई। मातबर और मुकेश अपनी माता सूरजा देवी की पुण्य स्मृति में आयोजित
श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन प्रसिद्ध कथावाच आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने भक्तो को सम्बोधित करते हुए कही संघर्ष के लिए भगवान् श्रीकृष्ण के जीवन को समझना होगा।
*श्रीकृष्ण के जीवन में भी बड़ी विषमताएं, प्रतिकूल स्थितियाँ आईं पर वो हताश नहीं हुए, दृढ़ता से उनका सामना कर विजय प्राप्त की। उनकी इसी अद्भुत सामर्थ्य ने एक दिन उन्हें परम वन्दनीय बना दिया। जहां जन्म है वही कर्म है जीवन कर्म का ही व्यर्थ पर्याय है जन्म के साथ ही कर्मों का आरंभ होता है तथा मृत्यु के साथ यह समाप्त होते हैं इसलिए जीवन ही कर्म है तथा मृत्यु कर्म का अभाव है मृत्यु के बाद चित पर उनकी स्मृतियां शेष रह जाती हैं जो कई वासनाओं को जन्म देती है यही नए जन्म के कारण है जगत की गति वृताकार है इसका ना कहीं आदि है न अंत सृष्टि निर्माण एवं विध्वंस का कार्य सतत रूप से चल रहा है जहां यह व्रत पूरा हो जाएगा तथा पुनः नई सृष्टि के लिए अवसर उपस्थित हो जाएगा इसी प्रकार कर्म और वासनाओं की गति वृताकार है कर्म से स्मृति और संस्कार बनते हैं तथा इन संस्कारों के कारण वासना उठती है जिससे कर्म होते हैं इस वासना से ही जन्म मृत्यु एवं पुनर्जन्म का चक्र आरंभ होता है वासनाओं का मूल अहंकार है तथा अहंकार के गिरने से वासनाये भी समाप्त हो जाती हैं इन भोगों से अहंकार ही पुष्ट होता है मेरी संपत्ति कुछ यूं है