बताते चलें कि भारतीय सेना के जाने जाने माने शिला आरोही नायब सुबेदार पर्वत सिंह राठौड़ जो वर्तमान में भारतीय सेना के मुख्य शिला रोहंण प्रशिक्षक हैं, के नेतृत्व में सेना के विभिन्न रेजिमेंटों के जवान निरंतर दिन रात अभ्यास कर रहे हैं !
जवानों के कठिन अभ्यास व कोच राठौड़ के रौक क्लांईम्बिंग के प्रति पुरी तरह समर्पण व मेहनत का ही नतीजा है कि पहली बार ओलंपिक में शामिल हो रहे ईस खेल में देश की ओर से प्रतिभाग करने के लिये 9 से 11 नवंम्बर के बीच इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता मे लगने वाले पहले एशियन क्वालीफ़ायर ओलंपिक शिविर के लिये सरवन चौहान जैसे दुर्गम क्षेत्र के युवाओं का चयन होना सेना व उत्तराखंड राज्य के लिये गर्व से कम नही !
इससे पहले सरवन राष्ट्रीय स्तर पर हुई
कई बड़ी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है और नेहरु पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी उत्तराखंड में संपन्न हुयी 26 वीं राष्ट्रीय स्पोर्ट्स क्लांईम्बिंग प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक अपने नाम कर ईस साहसिक खेल में देश के लिये भविष्य मे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने का संदेश दे चुके हैं और देश के लिये ओलंपिक पदक जीतना ही सरवन का सपना है जिसके लिये वो अपने कोच नायब सुबेदार पर्वत सिंह राठौड़ की देख रेख में प्रशिक्षण शिविर मे दिन रात पसीना बहा रहा हैं सरवन ईस खेल में भाग लेने वाला देश के साथ साथ सेना व उत्तराखंड राज्य का भी पहला खिलाड़ी हैं !
सरवन चौहान के कोच पर्वत राठौड़ के साथ पर्वतारोहंण कर चुके पूर्व सैनिक पर्वतारोही सुदेश भट्ट ने बताया कि पर्वत सिंह राठौड़ स्वयं एक बहुत ही उम्दा व बेहतरीन रौक क्लांईम्बर रहे हैं रौक क्लांईम्बिंग के प्रति पर्वत सिंह के समर्पंण व त्याग को उन्होंने बहुत क़रीब से देखा है जो हमेशा अपने से जुनियर रौक क्लांईम्बरों को उत्साहित करते रहते थे सरवन चौहान की ईस उपलब्धि पर गर्व करते हुये पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि सरवन की ईस उपलब्धि ने देश के साथ साथ सेना व उत्तराखंड के साथ उनके गृह जनपद पौड़ी को भी गौरवान्वित किया है जिसके लिये राज्य के गौरव सेनानियों में भी अपने ईस जवान की उपलब्धि पर हर्ष का माहौल बना हुआ है सुदेश भट्ट ने बताया कि जकार्ता से लौटने के बाद सरवन चौहान व उनके कोच पर्वत सिंह राठौड़ का क्षेत्र के पूर्व सैनिक संगठनों द्वारा सम्मान समारोह व अभिनंदन किया जायेगा !
साथ ही सुदेश भट्ट ने अफ़सोस ब्यक्त करते हुये बताया कि साहसिक खेलों देश में अन्य खेलों की तर्ज़ पर रौक क्लांईम्बिंग व पर्वतारोहण के प्रति सरकारों द्वारा उदासीनता के चलते ईन खेलों के खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों को वो सम्मान नहीं मिल सका है जो अन्य खेलों के खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों को दिया जाता है
सरकारें यदि अपनी खेल नीतियों मे रौक क्लांईम्बिंग व पर्वतारोहंण जैसे खेल को प्रोत्साहित करें तो देश के ख़ासकर पर्वतीय राज्यों से सैकड़ों सरवन जैसे युवा उभरकर आयेंगे ईसके लिये राज्य के गौरव सेनानियों एवं साहसिक खेल प्रेमियों ने उम्मीद जताई है कि सरवन के सिमित संसाधनों मे प्रशिक्षण के बाद ईस बड़ी उपलब्धि पर देश की राज्य सरकारें अपने अपने राज्य में आम ग्रामीण युवाओं को ओलंपिक में पहली बार शामिल हुये ईस खेल के प्रति आकर्षित करने के लिये विश्व स्तरीय क्लांईबिंग वालों का निर्माण करेगी यदि उत्तराखंड राज्य रौक क्लांईम्बिंग जैसे खेलों को बढ़ावा दे तो 2028 में होने वाले ओलंपिक के लिये पहाड के दुर्गम क्षेत्रों से पदक बिजेताओं की एक बड़ी खेप तैय्यार की जा सकती हैं !
अपनी सैन्य सेवा के दौरान पर्वत सिंह राठौड़ के साथ साहसिक गति विधियों के गवाह रहे पर्वतारोही पूर्व सैनिक व वर्तमान मे क्षेत्र पंचायत सदस्य सुदेश भट्ट ने सरवन व उनके कोच पर्वत राठौड़ को ईस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई देते हुये ईसे देश व गौरव सेनानियों के लिये दीपावली का सबसे बेहतर उपहार स्वीकार करते हुये पूर्ण उम्मीद जताई कि दीपावली की पूर्व संध्या पर पहाड का लाल सरवन ओलंपिक का कोटा हांसिल कर देश व सेना को एक बार फिर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान करेंगा !!