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राम जी ने उत्तर दक्षिण जोड़ा भेदभाव का नाता तोड़ा: आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं


रिंगरोड साथी वेडिंग पॉइंट में आरोग्य संघ सेवा के तत्वाधान में संस्कृत निर्माण से राष्ट्र निर्माण कार्यक्रम मैं प्रचारक संगठन मंत्री एवं कार्यक्रम संयोजक ललित पंत ने अपने स्वागत भाषण में कहा की संस्कृति बच्चेगी तो देश बचेगा राष्ट्र सुरक्षित रखने के लिए संस्कारों की आवश्यकता होती है वही संयोजकिका सबिता पंवार ने भी सभी का स्वागत किया अतिथियों का पुष्प गुच्छ पगड़ी पहनाकर स्वागत किया वही संस्कृति राज्य मंत्री मधु भट्ट नें अपनें उद्बोधन में संस्कृति की रक्षा तब होगी जब परिवार को संस्कृत किया जाय हमारा खान पना रहन एक दुसरे से मेल वहीं नैनीताल की विधायक सरिता आर्य नें अपने भाषा से हमारी पहचान होगी बोलना नहीं नहीं समझना आ जाय इसलिए भेष भाषा भाषा से ही अपनी संस्कृती की पहचान होगी वहीं बतौर मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध कथावाचक पूर्व राज्य मंत्री आचार्य शिवप्रसाद ममगांई नें कहा श्री राम जी ने उत्तर दक्षिण जोड़ा और भेदभाव करना था तोड़ा आज भी लोग नाम रखते हैं बैंक्वेट रामाया कहानी लिखते हैं रामास्वामी उत्तराखंड में लिखते हैं राम सिंह राम प्रसाद रामू यह राम हमारे आदर्श एवं सबके प्राण रूप और देश का महान रूप है केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अखंड राष्ट्र की सोच को आगे बढ़ते हुए राम मंदिर निर्माण और कोरोना कल पर धनी देशों को वैक्सीन के लिए पटना पड़ा जबकि हमारे प्रधानमंत्री जी ने वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की सलाह से पूरा विश्व आरोग्यता की और अगरकर किया और महिलाओं को 30% देश और प्रदेश में मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह थामी सरकार आरक्षण देकर नारी के बिना नर का अस्तित्व नहीं इस कहावत को यथार्थ सत्य किया जितने महापुरुष हुए उनके पीछे पत्नी का हाथ और सर में मां का हाथ रहा प्वहीं नारियों को लक्ष्मी सरस्वती दुर्गा का स्वरूप कहकर आचार्य ममगांई ने कहा बच्चों को संस्कार देने के लिए माता की प्रथम भूमिका होती है प्रथम गुरु मां होती है जैसा संस्कार में डालेगी वैसा उसे बच्चे का भविष्य बनेगा नीति रीति चारों पुरुषार्थों का वर्णन करते हुए सुंदर व्याख्यान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र करते हुए कहा से अपनी संस्कृति अपनी स्वतन्त्रता संग्राम में कई कारावास गोलियां झेली थी जहां विदर्भ की तहसील पर राष्ट्र ध्वज पहनाते सबने अपनी छातियों को पुलिस की गोलियों से छलनी करवा दिया लेकिन ध्वज पहनाते हुए प्रोत्सर्ग किया और कई स्थानों पर सहभाग किया इमानदारी संस्कृत सस्कारों से अपनी पहचान बढ़ने पर जोर दिया आयोजन करता ललित पंथ जी एवं सविता पवार एवं समाजसेवी डॉक्टर शेखर सिंह आचार्य आचार्य दिवाकर भट्ट पार्षद नरेश रावत विकस व कन्हैया सरस्वती बगवाड़ी पिकी गुसाईं आदि मौजूद थे

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