भगवानतो सर्वव्यापक, अलक्ष्य, अविनाशी, सत् चित् आनन्द स्वरूप, त्रिगुण (सत रज तम) रहित और भक्तों/आर्त/शरणागत के अवगुण दूर करने के गुण सहित हो, दीनबंधु दुखहर्ता आदि गुणों से भरपूर हो।
हमारी मन बुद्धि और वाणी आपतक पहुंच ही नहीं सकती अतः हमलोग तो आपके बारे में बस अनुमान करते हैं। उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने बद्रीपुर जोगीवाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के विराम दिवस पर व्यक्त करते हुए कहा कि
हे तीनों काल में एक समान सर्वत्र व्याप्त सर्व समर्थ प्रभु! आपकी महिमा तो वेदों से भी परे हैं। अतः हे समस्त सुखों के मूल! आपके इस अहैतुक कृपा से हम सभी कृतकृत्य हैं
ज्ञानी पुरुष का आत्म रूप में ही प्रिय हु उसको और स्वार्थ का हेतु कुछ नही है पर स्वार्थ हेतु मुझे ही चाहते हैं इससे स्वर्ग और मोक्ष तथा और भी अर्थ मुझ बिना उन्हें प्रिय नही इस कारण उसका न कुछ कर्तब्य है न प्राप्त करना है यहाँ ज्ञान का अनुभव प्रमाण बताते हैं ज्ञान विज्ञान जो सिद्धि को प्राप्त करना है श्रेष्ट स्थानों को जानते हैं इस कारण मुझे ज्ञानी अतिप्रिय है वे ज्ञान से ही मुझे ह्र्दय में धारण किये रहते हैं तप तीर्थ जप दान और पवित्र साधन उस सिद्धि को नही करते जो सिद्धि ज्ञान से होती है
आज कथा के विराम दिवस पर आयोजकों के द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया सभी भक्तो ने श्रद्धा के साथ कृष्ण भोज ग्रहण किया।।
इस अवसर पर डॉ शैलेंद्र ममगाईं डॉ रोहिणी वर्मा शरद बडोनी ,महेश बडोनी कांग्रेस के प्रदेश सचिव अर्जुन सिंह गहरवार डॉ प्रकाश ममगाईं पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुभाष भट्ट ,संजय विमल देवेन्द्र वीरेंद्र रविंद्र दिवाकर राकेश रत्नमणि विजयलक्ष्मी ममगाईं रजनी नीलम आचार्य देवी प्रसाद गार्गी आचार्य मनोज थपलियाल आचार्य मोहित बडोनी आचार्य संदीप डंगवाल आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य हिमांशु मैठाणी सुरेश जोशी आदि भक्त गण भारी सँख्या में उपस्थित थे।।