भागवत वह ग्रंथ है जिनके दर्शन करने से कृष्ण दर्शन का लाभ कलिकाल में प्राप्त होता है कथा मनोरंजन के लिए नही बल्कि मनोभंजन के लिए होती है सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि कथा मोक्षदायिनी है यह अंतरंग विषय है जो सुखदेव परमहंस की समाधि को जिसका एक श्लोक तोड़ देता है हमारे अंदर लोभ मोह ईर्ष्या को मिटाने वाला श्रीमद्भागवत है उक्त विचार ज्योतिष्पीठ ब्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने ऋषिकेश सरदार जी के प्लाट में श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करते कहा वेद आदि जिसका पता नही कर सकते वह बृज की गोपियों ने गौ चारित के रूप में अपने आँचल पट पर बांधते हुए छांछ के लिए गोपी के कहने पर नाचते हैं सुखदेव सरीखे सन्त कथा सुनते है यह आडम्बर का विषय नही और न ही इसमें आडम्बर किसी को करना चाहिए उत्तराखंड से वेद ज्ञान जल गंगा का उद्गम हुआ गणेश जी ने चतुर्थी से चतुर्दशी तक महाभारत के लाख श्लोक लिखे व्यास जी ने जल फल पत्तो से लिखने में जो ताप बढ़ गया था उसे शीतल किया यह है हमारी देवभुमि जहां बेटों का विभाजन पुराणों की रचना और भागवत महापुराण का लेखन व्यास जी के द्वारा हुआ गंगा के किनारे नवरात्र में कथा श्रवण का और महत्व बढ़ जाता है गंङ्गा हमारी धरती के सौंदर्य एवं सौरभ की उर्ध्वगामी समता की उज्जवल मनी किरण के सदृश्य है ।वे जन जन की ममतामयी जगत् धात्री हैं शक्ति हैं भक्ति है अनुरक्ति है ।ज्ञानयोग और तप के प्रतिमान सम्पूर्ण शरीर में अंगराग लगाये हुए है इसलिए ऋषिमुनि और तपस्वी इसके आराधन में निरन्तर तल्लीन रहते हैं गंगा जी के निर्मल जल में वह संजीवनी है ,जो अन्यत्र मिल नहीं सकती गंगाजल विभिन्न प्रकार के रोगों का विनाशक तथा जीवनदायिनी औषधियों का सम्मिश्रण है मां गंगा के प्रक्षिप्त प्रवाह
में भांती भांती की मणी मणियों की लड़ियां उत्तालतरगों की ग्रींवा से लिपट लिपट कर सदैव ही छलती रहती है ।इस मां गंगा का जल को अमृत ही बनाये रखना हम सबका दायित्व है गंगा यमुना पवित्र नदियों की स्वच्छता के लिए हमें संकल्प लेना है आदि प्रसंगो पर लोग भावुक विभोर हुए। ।
आज विशेष रूप से मनोज नौटियाल राकेश नौटियाल अनिल नौटियाल हिमांशु नौटियाल सुधांशु नौटियाल अंकित नौटियाल सौर्य ,रित्वीक,शकुन्तला लक्ष्मी ,मधु, अंजली ,प्रिति ,प्रिया चक्रधर प्रसाद गोदियाल लक्ष्मी गोदियाल रवि शास्त्री जी आदि बहु संख्या में लोग थे ।।