केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर का मामला
दो प्राध्यापकों को स्थायी नियुक्ति, नए कुलपति की सराहनीय पहल
डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल
देवप्रयाग। श्री रघुनाथ कीर्ति संस्कृत महाविद्यालय के प्राध्यापकों को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में समायोजित करने के लंबित मामले का समाधान हो गया है। साढे़ छह साल से लटके इस प्रकरण को नए कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेडी़ ने छह महीने से भी कम समय में निपटा दिया। लाभान्वित हुए असिस्टेंट प्रोफेसरों ने इस निर्णय पर प्रसन्नता प्रकट की है।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय(तत्कालीन राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान) का देवप्रयाग में जून,2016 को नया परिसर खोला गया था। इससे पहले यहाँ संचालित श्री रघुनाथ कीर्ति संस्कृत महाविद्यालय को भी विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ परिसर में विलय कर दिया गया था। प्रमुख सचिव उत्तराखंड के वर्ष,2010 के आदेश के अनुसार हस्तांतरण की इस प्रक्रिया के अंतर्गत उक्त महाविद्यालय के स्थायी स्टाफ को भी विश्वविद्यालय परिसर में स्थायी स्टाफ के रूप में नियुक्त किया जाना था। वहाँ कार्यरत डॉ.शैलेन्द्रनारायण कोटियाल तथा डॉ.सुशीलप्रसाद बडोनी की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय ने कमेटी तो गठित कर दी,परंतु 2016 से इसका कोई परिणाम नहीं निकला। दोनों प्राध्यापकों की भागदौड़ का फल नहीं मिला तो उन्होंने आस छोड़ दी। जून,2022 में इन लोगों ने विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेडी़ को इस समस्या से अवगत कराया। कुलपति के निर्देश पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए दोनों प्राध्यापकों को परिसर के साहित्य विभाग में स्थायी नियुक्ति दे दी है। दोनों प्राध्यापकों ने इस निर्णय पर संतोष और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा प्रो.वरखेडी़ के निर्देश और पहल पर यह संभव हो पाया है। निदेशक प्रो. एम.चंद्रशेखर ने भी इस फैसले की सराहना की। कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी़ ने कहा कि उक्त दोनों प्राध्यापकों को उनका अधिकार दिया गया है। इन लोगों की नियुक्ति से श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर का साहित्य विभाग समृद्ध हो गया है। इस प्रकार के लंबित प्रकरणों का निस्तारण करने को विश्वविद्यालय प्रशासन कटिबद्ध है।