देहरादून। जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव के बाद अब जोशीमठ के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करने को लेकर सरकार की ओर से तैयारी की जा रही है। इस बीच जैसे ही निर्माण का मुद्दा उठा तो आवास विभाग ने जिला विकास प्राधिकरणों की जरूरत बताते हुए इन्हें दोबारा जिंदा करने की सिफारिश शासन को भेजी। वहीं मामले में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जिला विकास प्राधिकरण के फैसले को लेकर आमने-सामने दिख रहे हैं।
प्रेमचंद अग्रवाल और त्रिवेंद्र रावत आमने-सामने
शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जिला विकास प्राधिकरण के मुद्दे पर कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में जिला विकास प्राधिकरण को लेकर लिया गया फैसला जल्दबाजी था। वहीं इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जो भी फैसला जिला विकास प्राधिकरण को लेकर लिया गया था, वह दीर्घकालिक सोच के साथ लिया गया था। क्योंकि उत्तराखंड की परिस्थितियों के अनुसार बहुत जरूरी है कि नियोजित तरीके से यहां पर निर्माण कार्य किए जाएं। उन्होंने कहा कि अगर हम दीर्घकालिक सोच रखते हैं तो उत्तराखंड में जरूरी है कि यहां पर जिला विकास प्राधिकरण होने चाहिए।
क्या है मामला
दरअसल, त्रिवेंद्र सरकार ने 13 नवंबर 2017 को सभी जिलों के स्थानीय प्राधिकरणों और नगर निकायों की विकास प्राधिकरण से संबंधित शक्तियां लेते हुए 11 जिलों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण गठित किए। हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) में हरिद्वार के क्षेत्रों को शामिल कर लिया गया था जबकि मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण(एमडीडीए) में दून घाटी विकास प्राधिकरण को निहित कर दिया गया था। बाद में इन पर विरोध होने लगा। जन प्रतिनिधियों ने भी खुलेतौर पर विरोध जताया। जिसके बाद जिला विकास प्राधिकरणों के फैसले को स्थगित कर दिया गया था। वहीं जोशीमठ में भूधंसाव के बिगड़ते हालातों के बीचज जिला विकास प्राधिकरणों को सरकार दोबारा सक्रिय करने पर विचार कर रही है। आवास विभाग ने इन्हें दोबारा जिंदा करने की सिफारिश की है, ताकि मास्टर प्लान के हिसाब से मैदानी और पर्वतीय जिलों में विकास किया जा सके। इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जा सकता है।