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Big breaking: जोशीमठ आपदा को लेकर आपदा सचिव ने दी ये बड़ी जानकारी, प्रभावितों के लिए यहां बनाए गए ठिकाने

अंतरिम राहत के रूप में 125 प्रभावित परिवारों को 1.87 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की गई है

सीबीआरआई, भारत सरकार द्वारा प्रभावित लोगों के लिए उनकी अपनी अन्य सुरक्षित भूमि पर प्री-फैब झोपड़ियों के डिजाइन और निर्माण का प्रस्ताव बनाया गया है।

जोशीमठ के अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में कमरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि कर आज 2,190 की क्षमता कर दी गई है

राहत शिविरों में विस्थापितों के लिए हीटर और अलाव की समुचित व्यवस्था
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने शनिवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में भूस्खलन एवं भू-स्खलन के बाद राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से संबंधित किये जा रहे कार्यों की जानकारी मीडिया को दी. बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा प्रति परिवार विस्थापन के लिए 125 परिवारों को 187.50 लाख रुपये की राशि अग्रिम के रूप में वितरित की जा चुकी है. सीबीआरआई, भारत सरकार द्वारा प्रभावित लोगों के लिए अपनी अन्य सुरक्षित भूमि पर प्री-फैब झोपड़ियों के डिजाइन और निर्माण का प्रस्ताव बनाया गया है। प्रशासन द्वारा शीतलहर को देखते हुए जोशीमठ नगर पालिका में 10 जगहों पर अलाव जलाए गए हैं. राहत शिविरों में हीटर की व्यवस्था की गई है।
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि राहत शिविरों की क्षमता में वृद्धि करते हुए जोशीमठ में 2190 लोगों की क्षमता वाले कुल 615 कमरे तथा पीपलकोटी में 2205 लोगों की क्षमता वाले 491 कमरे हैं. प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत 5000 रुपये प्रति परिवार की दर से कुल 73 (कुल 3.65 लाख रुपये) घरेलू राहत सामग्री के लिए प्रभावितों को वितरित की गई है. तीव्र/पूर्णतः क्षतिग्रस्त भवनों के लिए 10 प्रभावितों को रू0 13.00 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है। 10 लोगों ने मकान किराए के लिए आवेदन किया है।
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि अब तक 782 भवनों में दरारें आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र/वार्ड को असुरक्षित घोषित किया गया है. बिल्डिंग 148 एक असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। सुरक्षा के मद्देनजर 223 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 754 है।
प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबंधन, निदेशक उत्तराखंड भूस्खलन प्रबंधन एवं शमन संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच और निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे.

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