चमोली/पोखरीःसिनांउ गॉव में आयोजित जीतू बग्डवाल नृत्य कौथिक के चौथे दिन राजा जीतू बग्डवाल का हल चलाने वाला मोलू कामिण का शानदार नाटक किया गया। जीतू बग्डवाल की इस गाथा को परम्परागत तरीके से महिला व पुरूषों के द्वारा गाये जागरो द्वारा मंचन किया गया। इस भावुक नाटक के दौरान कौथिग में पधारे सभी श्रद्वालुओं की ऑखें नम हो गई। पुराने कथानकों के अनुसार जीतू बग्डवाल अपने हल चलाने वाले मोलू कामिण नामक हल्या को बैलों की जोड़ी लाने के लिए भेजता है। जिसके लिए उसे रास्ते में खाने के लिए अनांज फल,व कुछ रूपया दिया जाता है। इस दौरान ग्रामीण महिलाओं व पुरूषों के द्वारा मोलू कामिण के पात्र को महिलाओं के द्वारा आटा,चावल,फल व रूपया दिया गया।
आपको बता दें कि,जीतू बग्डवाल की गाथा उत्तराखंड के चमोली,टिहरी,रूद्रप्रयाग समेत अनेक जनपदों में नृत्य व जागरों के रूप से गायी जाती रही है। दंतकथाओं के अनुसार राजा जीतू बग्डवाल बहुत मनमोहक बांसुरी बजाते थे,इस बांसुरी की मुधर धुन पर मोहित होकर उन्हें अछरियों (देवकन्याओं)ें ने उनका हरणकर लिया था। अषाड़ के महीने रोपोई के दौरान 6 जोड़ी बैलों सहित वह धरती में समा गये थे। तब से अब तक वीर जीतू बग्डवाल नृत्य व जागरों का आयोजन उत्तराखंड के अनेक गांवो में आयोजित किया जाता है।
भानु प्रकाश नेगी,सिनाउ गंाव,पोखरी चमोली