organic ad

सैनिको का गांव लुठियाग में सड़क ना होने के कारण लड़की देने से लोग कर रहे इंकार,गांव छोड़ने को लोग मजबूर, संघर्ष समिति का हुआ गठन खुद बनाएंगे अपने लिए सड़क, जनप्रतिनिधियों को ग्रामीणों ने सुनाई खरी खरी: देखें वीडियो


दीपक कैन्तुरा

electronics

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जनपद के विकासखंड जखोली में स्थित लुठियाग गांव के युवाओं में देश के प्रति जज्बे को पूरा राज्य सहित देश सलाम करता है क्योंकि गांव के युवाओं में देश के प्रति समर्पित की भावना पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।

गांव के हर घर में कोई न कोई भारतीय फ़ौज़, अर्द्धसैनिक बल, पुलिस फ़ोर्स में रहकर देश सेवा कर रहा है। इस गांव का इतिहास ही देश सेवा को समर्पित रहा है प्रथम विश्व युद्ध में गांव के दो सगे भाईयों रतन सिंह कैंतुरा व देव सिंह कैंतुरा , शिव सिंह कैन्तुरा के अलावा कई सैनिकों ने हिस्सा लेकर वीरगति प्राप्त की, जिनकी वीरता का इतिहास इगलैंड़ में स्मारक बने हैं और इसके अलावा इड़िया गैट पर भी नाम अंकित है,देश की आजादी से लेकर आजादी के बाद 1962,1971,1975 का युद्ध हो या1999 के कारगिल युद्ध में भी गांव के सपूतों ने अपना पराक्रम दिखाया।
लुठियाग गांव के 14वीं राष्ट्रीय राइफल के लांस नायक मुरारी सिंह कैंतुरा का पराक्रम व शौर्य किसी पहचान का मोहताज नहीं है जो जून 2000 को आतंकवादियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। वर्तमान में शहीद मुरारी कैंतुरा का बड़ा बेटा भी सेना में रहकर देश की सेवा कर रहा है।इसके साथ गांव में 65 भूतपूर्व सैनिक हैं जबकि अभी गांव के 40युवा देश सेवा के लिए सीमा पर तैनात हैं।

देश को समर्पित इस गांव का दुर्भाग्य है कि सालों से गांववासी गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क की मांग कर रहें हैं पर सालों से ग्रामवासियों को मिल रहा है तो सिर्फ आश्वाशन।जिस गांव की जनता देशभक्ति से इतनी ओतप्रोत हो उसी गांव की ऐसी अनदेखी से ग्रामवासी काफी निराश भी हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि “गांव के लोग वक़्त वक़्त पर शासन प्रशासन को सड़क बनवाने के प्रति अवगत करवाते रहे हैं। लेकिन शासन प्रशासन के कान में जून तक नहीं रेग रहा है।

ये भी पढ़ें:  पहली बार निकायों का आरक्षण तय करने में रखा गया जनभावनाओं का ख्याल, आपत्ति का मिला पूरा मौका, सुनवाई के बाद ही फाइनल हुआ आरक्षण

गांववासियों को मुख्य सड़क में आने के लिए 4 से 5 किलोमीटर पैदल जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है। लुठियाग गांव में किसी को स्वास्थ्य समस्या हो तो मुख्य सड़क पर आने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है”लेकिन शासन प्रशासन की बेरूखी के बाद अब लुठियाग के ग्रामीण आक्रोशित दिखाई दे रहे हैं, और लुठियाग के ग्रामीणों ने मन में ठान लिया कि कुछ कुछ भी हो जाए लेकिन सड़क लुठियाग गांव तक पहुंचाकर रहेंगे, इसके लिए ग्राम वासियों ने जन संघर्ष समिति का गठन किया गया है, जिसमें ग्राम प्रधान दिनेश सिंह कैन्तुरा संघर्ष समिति के अध्यक्ष कुंवर सिंह कैन्तुरा,उपाध्यक्ष सैन सिंह मेहरा,महासचिव नरदेव सिंह कैन्तुरा संरक्षक पूर्व प्रधान रूप सिंह मेहरा,सचिव कमल सिंह कैन्तुरा समेत अन्य लोग शामिल हैं।

ये भी पढ़ें:  समाज में बदलाव के लिए गंगधारा की तरह विचारों की अविरलता भी आवश्यक

जिसमें समिति ने एक प्रस्ताव पास किया गया है जो इस प्रकार से है।

लंबे समय से चिरपटिया लुठियाग मोटर मार्ग हेतु विभागीय सर्वे होने के पश्चात भी आज तक सड़क कटान का कार्य शुरू नहीं हो पाया है जबकि सड़क कटान की खूट्टियां पड़ चुकी हैं परंतु आज तक शासन प्रशासन द्वारा कार्य प्रारंभ नहीं किया गया देश की आजादी के बाद गांव वासी सड़क हेतु मांग कर रहे हैं वहीं ग्रामीणों ने सर्व समिति से तय किया है की जहां से खुटियां पड़ी हुई है वहां से तत्काल सड़क निर्माण हेतु स्वीकृति निवेदन कराए जाएं जिसे तू एक पत्र विधायक सांसद एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को तत्काल प्रेषित किया जाए यदि उक्त पत्र के 1 माह के भीतर ग्रामसभा को सूचित नहीं किया जाता है तो मजबूरन ग्राम वासियों को विवश होकर स्वयं के संसाधनों से कटिंग पॉइंट से सड़क कटान का कार्य शुरू किया जाएगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

लुठियाग गांव किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है जहां लुठियाग के युवा सेना में रहकर देश सेवा कर रहे हैं वही इस गांव की महिलाएं पर्यावरण बचाने में और जल संरक्षण के कार्य में एकजुट होकर इतिहास रच रही हैं,लुठियाग गांव को जल संरक्षण के लिए स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में लुठियाग गांव की महिलाओं की जल संरक्षण के लिए की गई पहल की तारीफ की है।इसके साथ नार्थ जोन का जलसंरक्षण के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने प्रथम पुरस्कार भी इस गांव को मिला लेकिन सब कुछ होने के बाद भी ये गांव आज भी सड़क के लिए तरस रहा है, और सड़क ना होने की वजह से कई लोग गांव छोड़ने को मजबूर हैं। साथ ही सड़क ना होने के वजह से कई अस्वस्थ लोगों को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता है जिसके चलते वह आधे रास्ते में दम तोड़ते हैं ।सड़क ना होने के कारण इस गांव की संस्कृति पहचान पर भी संमाप्ति की कगार पर है, इतना नहीं सड़क ना होने के कारण यहां दूसरे गांव के लोग रिस्ता जोड़ने इंकार कर रहे हैं। वहीं सड़क निर्माण संघर्ष समिति ने 27 दिसंबर 2022 को लोकनिर्माण विभाग से मिलने का समय मांगा है।सड़क ना होने पर गांव के लोगों ने ग्राम प्रधान क्षेत्र पंचायत सदस्य जिला पंचायत सदस्य विधायक प्रमुख और गांव की भाजपा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गांव के लोगों ने खरी-खोटी सुनाई और हाथापाई की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *