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गढ़वाल मंडल के पांच जिलों को जोड़ेगी पहाड़ की रेल परियोजना, बदल जाएगी तस्वीर, ये होंगे रेलवे स्टेशन

नमिता बिष्ट

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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को तय समय पर धरातल पर उतारने के लिए रेल विकास निगम युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। हिमालयी क्षेत्र के विषम भूगोल में तैयार हो रही इस परियोजना पर कुल 213 किमी सुरंग बननी हैं। जिसमें सिंगल ब्राडगेज रेल लाइन के लिए 116.59 किमी की मुख्य सुरंग के अलावा 84.54 किमी की निकास सुरंग शामिल है।

गढ़वाल के 5 जिलों को जोड़ेगी परियोजना
कर्णप्रयाग रेल परियोजना गढ़वाल मंडल के पांच जिलों को जोड़ेगी। जिनमें देहरादून, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले शामिल हैं। परियोजना पर कुल 13 रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें दो स्टेशन वीरभद्र और योगनगरी ऋषिकेश, देहरादून जिले में हैं। इसके अलावा टिहरी जिले में शिवपुरी, व्यासी, मलेथा और चौरास, पौड़ी जिले में देवप्रयाग, जनासू और धारी देवी, रुद्रप्रयाग जिले में सुमेरपुर और चमोली जिले में घोलतीर, गौचर और कर्णप्रयाग के सेवई रेलवे स्टेशन होंगे।

17 सुरंगों से गुजरेगा रेल लाइन का 105 किमी हिस्सा
बता दें कि 16216 करोड़ की लागत से तैयार हो रही 125 किमी लंबी इस रेल परियोजना में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 105 किमी रेल लाइन 17 सुरंगों के भीतर से होकर गुजरेगी। वर्तमान में परियोजना के नौ पैकेज पर काम चल रहा है। जिसमें सुरंग के भीतर तक पहुंच बनाने के लिए लगभग चार किमी संपर्क सुरंग की खोदाई का कार्य पूरा हो चुका है। जबकि 116 किमी मुख्य सुरंग में से अब तक 31.39 किमी की खोदाई पूरी हुई है।

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डबल ट्यूब होगी रेल सुरंग
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सुरंगों के भीतर बिछाई जाने वाली सिंगल ब्राडगेज रेल लाइन की लंबाई वैसे तो 105 किमी है, लेकिन देवप्रयाग (सौड़) से जनासू के बीच 14.8 किमी लंबाई की दो अलग-अलग सुरंग बनाई जाएंगी। इस डबल ट्यूब टनल में गाड़ियों के आने-जाने के लिए अलग-अलग ब्राडगेज लाइन बिछाई जाएगी।

2024 तक परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य
परियोजना के मुख्य प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि वर्तमान में परियोजना निर्माण की गति बेहतर स्थिति है। अब तक निकास सुरंग में दो और मुख्य सुरंग में एक फेज में आर-पार खोदाई हो चुकी है। निगम का लक्ष्य परियोजना को साल 2024 तक हर हाल में पूरा करने का है।

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ये होंगे रेलवे स्टेशन का क्रम
वीरभद्र, योग नगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, व्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर (चौरास), धारी देवी, रुद्रप्रयाग (सुमेरपुर), घोलतीर, गौचर और कर्णप्रयाग (सेवई)

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