26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा एवं भया दूज
गोवर्धन पूजा अन्नकूट नाम से भी जानते हैं इस दिन लोग आंगन में गोबर का गिरिराज और गोवर्धन नाथ की अलपना बनाते हैं उनकी पूजा करते हैं जोकि यह त्योहार दिपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है लेकिन इस बार 26 तारीख को मनाया जाएगा गोवर्धन और भैया दूज का त्यौहार गोवर्धन पूजा में बहुत प्रकार के भोग पकवान 56 भोग 108 प्रकार के भोग भगवान को चढ़ाए जाते हैं भगवान कृष्ण का अवतार होने के बाद बृजवासी अनादि उपज के लिए खूब बारिश हो इसलिए इंद्र की पूजा करते हैं लेकिन भगवान कृष्ण नें यह पूजा रोक दी और इंद्र ने प्रलय कालिक मेघों को बृज को समूल नष्ट करने का आदेश दिया और भगवान कृष्ण ने 7 दिन 7:00 रात तक छोटी उंगली पर गोवर्धन गिरिराज को धारण करके रखा और इंद्र का अभिमान चूर किया तब से गिरिराज की पूजा गिरिराज धारण की पूजा करने का विधान और इसमें गो पूजन गौओं को अन्न खिलाना इस वर्ष पूजा का समय 26 अक्टूबर 2022 सुबह 6:00 बजे कर 29 मिनट से और 8 ब जकर 43 मिनट तक रहेगा पूजन की कुल अवधि 2 घंटे 14 मिनट की है वही भैया दूज सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा है और इससे यमुना और यमराज का जन्म हुआ सूर्य का तेज सहन न करने पर संज्ञा विश्वकर्मा अपने पिता के पास चली गई और बन में रहने लगी इसने अपनी छाया को सूर्य के पास छोड़ दिया था ,जिससे शनिदेव उत्पन्न हुए, यमुना ने अपने भाई को अपने घर भोजन के लिए बुलाया और यमराज ने कहा मुझे अपने घर कोई नहीं बुलाता मेरी बहन ने बुलाया मुझे जाना चाहिए और यमराज नरक के कई लोगों का उद्धार करते हुए यमुना के घर भोजन करने गये बहुत पकवान स्वादिष्ट भोजन पाने पर यमराज खुश हुए कहा बहन जो बर मांगे सो देने को तैयार हूं बहन ने कहा आज के दिन हमेशा आप मेरे घर आएंगे और भोजन पाएंगे जो भाई अपनी बहन के घर जाकर के घर जाकर भोजन करेगा उसको धन धन की प्राप्ति और दीर्घायु की प्राप्ति हो यमराज ने तथास्तु कहा तब से दीपावली के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया भैया दूज नाम से जानी जाती है इसको यम द्वितीया भी कहते हैं यमराज यमुना के घर भोजन करने जाते हैं और भगवान कृष्ण द्वापर युग में नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर इस दिन भोजन करने गए थे और सुभद्रा ने भी हमेशा आने का वचन मांगा और जो भाई बहन के दिए हुए भोजन को करेगा उसकी दीर्घायु हो का वर मांगा था, इसी परंपरानुसार आज भी भैया दूज मनाई जाती है बहन भाई को टीका लगाती है और कलाई पर कलावा बांधती है इस वर्ष 26 तारीख को 2:00 बज कर 42 मिनट तक प्रतिपदा चतिथि है उसके बाद द्वितीय तिथि का प्रारंभ होगी तिथि के प्रारंभ में ही भैया दूज मनाने का विधान है ,इसलिए क्यों भाई के आयु की वृद्धि हो तिथि के अंत में नहीं मनानी चाहिए 26 तारीख को तिलक करने का समय 2 बजकर 43 मिनट अपराह्न से 3 बजकर 42 मिनट तक सर्वोत्तम समय है भाई की दीर्घायु के लिए यह व्रत किया जाता है यमुना स्नान करनें से यम के द्वारा दिये गये भय रोगों से भी बचते हैं ।।
आचार्य शिवप्रसाद ममगांई