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केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग में हिन्दी पखवाड़े पर रोप गया रुद्राक्ष का पौधा

देवप्रयाग। हिन्दी पखवाड़ा के समापन कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय रघुनाथ कीर्ति परिसर में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया गया। यह पौधा सिक्किम से आये एक यात्री ने परिसर निदेशक को भेंट किया। समापन कार्यक्रम में श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. नंदकिशोर ढौंडियाल ने छात्रों का आह्वान किया कि हिन्दी भाषा की बुनियादी बातों को जरूर सीखें।
रघुनाथ कीर्ति परिसर में हिन्दी पखवाड़े के समापन पर आयोजित कार्यक्रम के आरंभ में निदेशक प्रो. एम.चंद्रशेखर ने सिक्किम से आए यात्री जनार्दन शर्मा द्वारा भेंट किए गए रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया। उन्होंने कहा कि बड़ा होने पर इस पौधे को समुचित स्थान पर लगाया जाएगा। यह पौधा पेड़ बनकर भविष्य में हिन्दी पखवाड़े और हिन्दी की स्मृति बन जाएगा, और हिन्दी अपनाने के प्रति लोगों को सचेत करेगा, क्योंकि इसे हिन्दी पखवाड़े के समापन पर रोपा गया है।
हिन्दी पखवाड़ा समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. नंदकिशोर ढौंडियाल ने कहा कि हिन्दी एक भाषा ही नहीं, भारत की संस्कृति का प्रतिनिधि भी है। हिन्दी पूरे भारत को एक साथ जोड़ती है, इसलिए देश की एकता और अखण्डता की मजबूती के लिए हिन्दी का मजबूत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हम हिन्दी में व्यवहार की पैरवी करनी चाहिए, प्रेरणा देनी चाहिए, लेकिन इससे भी जरूरी यह है कि हमें हिन्दी की बुनियादी जानकारी भी होनी चाहिए। हिन्दी के साथ भारत की अन्य भाषाओं का भी समृद्ध होना आवश्यक है। यह हिन्दी भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए बहुत आवश्यक है। प्रो. ढौंडियाल ने कहा कि हिन्दी भारत ही नहीं, विश्वस्तर पर अपना क्षेत्र विस्तृत कर रही है, यह हिन्दी की खूबियों का ही परिणाम है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो. एम. चन्द्रशेखर ने कहा कि संस्कृत से उद्भूत हिन्दी वर्चस्व दिनोदिन बढ़ रहा है, यह भारत के लिए प्रसन्नता की बात है। हिन्दी भारत का गौरव है। आज सिनेमा, पत्रकारिता इत्यादि क्षेत्रों में हिन्दी का व्यापक विस्तार हो रहा है। देश-दुनिया में हिन्दी की लोकप्रियता का एक कारण यह भी है। यह आज देश की प्रमुख जनभाषा और संपर्क भाषा बन चुकी है। अलग-अलग भाषा भाषा एक-दूसरे के लिए संपर्क के लिए हिन्दी का ही सहारा लेते हैं। इस प्रकार अनेक लोगों के लिए यह भाषा संकटमोचक भी है।
संयोजक डॉ. शैलेन्द्रप्रसाद उनियाल ने हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस मौके पर सह संयोजक डॉ. वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल को उनके ’फागुणी’ हिन्दी कहानी संग्रह के विमोचन के लिए परिसर की ओर से सम्मानित किया। हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम के अंतर्गत हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कार दिए गए। छात्रों की हिन्दी भाषा सामान्य ज्ञान स्पर्धा में अंकुश सिन्हा प्रथम, श्रेष्ठा आर्या द्वितीय तथा दुष्यन्त भारद्वाज तृतीय रहे। हिन्दी निबंध में दीपक नौटियाल प्रथम, माधुरी द्वितीय तथा अभिषेक उनियाल तृतीय रहे। कर्मचारियों की हिन्दी भाषा सामान्य ज्ञान स्पर्धा में स्वप्निल पाण्डेय प्रथम, राजेन्द्र सिंह द्वितीय तथा अमित कुमार तृतीय रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिल कुमार ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.अरविंद सिंह गौर ने किया। इस अवसर पर डॉ. दिनेशचन्द्र पाण्डेय, डॉ. सुरेश शर्मा, डॉ. अवधेश बिजल्वाण, डॉ. श्रीओम शर्मा, डॉ. मनीषा आर्या, डॉ. मौनिका बोल्ला, डॉ. आशुतोष तिवारी, रघु बी. राज, जनार्दन सुवेदी, डॉ. अमन्द मिश्र आदि उपस्थित थे।

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