जेल का नाम सुनते ही हर व्यक्ति के जहन में दुर्दांत अपराधियों की तस्वीर सामने आती है, लेकिन हरिद्वार के जिला कारागार में तस्वीर कुछ अलग है। इन तस्वीरों की खास बात यह है कि कागज़ और कलम उन हाथों में है, जो चोरी, डकैती, मारपीट या खून खराबे जैसे इल्ज़ामों में सज़ा काट रहे हैं। जी हां, यहां पर कैदियों की पाठशाला चल रही है। कैदी अपराध से निजात पाने के लिए अ से अनार सीख रहे हैं। तो आइए जानते हैं इन कक्षाओं की दिलचस्प बातें……
कैदी ही शिक्षक, कैदी ही विद्यार्थी
हरिद्वार की ज़िला जेल में सैकड़ों कैदी इन दिनों मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि पढ़ाने वाले भी कैदी है। यहां दोपहर 3 से 4 बजे तक जेल की इन कक्षाओं में बंद कैदी अध्यापक बनकर दूसरे कैदियों को हिंदी, इंग्लिश, उर्दू और गणित जैसे विषयों की तालीम दे रहे है। इसके साथ ही सप्ताह के 1 दिन सामाजिक ज्ञान की भी क्लास रखी गई है। पढ़ाई लिखाई की इस पहल में कैदी भी बढ़-चढ़कर रुचि ले रहे हैं और अपने समय का सदुपयोग करते हुए साक्षर बन रहे हैं।
जेल के अंदर ही लगती है क्लास
जिला कारागार में बंद पढ़े लिखे कैदी दूसरे कैदियों के जीवन में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। जेल प्रशासन की ओर से जेल में 200 कैदियों के लिए क्लासें लगाई जा रही हैं। इस स्कूल में शुरुआत भी प्रेयर से होती है और समापन भी राष्ट्रगान गा कर किया जाता है। इतना ही नहीं यहां कैदियों को स्वइच्छा अनुसार अपना विषय चुनने का भी अधिकार है। बता दें कि जो कैदी पढ़ा रहे हैं, उनमें से कई जेल आने से पहले अध्यापक रह चुके हैं और किसी स्कूल या कॉलेज आदि संस्थान में पढ़ा चुके हैं।
कैदियों के लिए बेहतर बनाने के लिए सराहनीय पहल
जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्या ने इस पहल के बारे में बताते हुए कहा कि जेल में बंद कैदियों को किस तरह से सुधारा जाए और एक नए जीवन की शुरुआत कराई जाए, इसके लिए लगातार प्रयास किए जाते हैं। इसी कड़ी में हमारे द्वारा जेल में एक पाठशाला का आयोजन किया गया था, जो कि काफी सफल रहा। जिसके बाद हमने हर दिन यहां पर एक पाठशाला शुरु करने का फैसला लिया। जिसमें बंद कैदी भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। मनोज कुमार आर्या ने बताया कि इनमें से करीब 100 कैदी तो ऐसे हैं, जिन्हें अक्षर ज्ञान तक नहीं है। उनके लिए खास तौर से ये कक्षाएं बड़ी कारगर साबित होने जा रही हैं।