organic ad

हाईटेक कृषि और बागवानी से खुलने लगे हैं बंद घरों के ताले

वरिष्ठ पत्रकार, विजेंद्र सिंह रावत

electronics

  • बंजर खेतों में अब लहलहाने लगी है, विदेशी सेब की फसलें
  • युवाओं ने गांव के अपने खेतों में किया आठ हजार से अधिक सेब के पौधों का रोपण
  • पौली हाउस में उगने लगी है शानदार से बेमौसमी सब्जियां
  • गांव वालों ने सरकार के एप्पल मिशन के तहत लगाए सेब तो मिला 80 प्रतिशत का अनुदान और पौली हाऊस लगाने के लिए मिला 90 प्रतिशत का अनुदान
  • तीन – युवाओं ने रिवर्स पलायन कर शुरू किया गांव में ही अपना स्वरोजगार

– हिमाचल और अब गढ़वाल में सेब के बाग लगाने वाले विशेषज्ञ विक्रम रावत के निर्देशन में विकसित हो रही हैं गांव में बागवानी


ब्यूरोखाल से करीब 22 किलोमीटर दूर पड़ता है, सिल्ली मल्ली गांव। यह क्षेत्र के सबसे बड़े गांवों की सूची में शुमार है जहां ढ़ाई सौ से भी अधिक परिवार रहते हैं। लोग परम्परागत खेती के साथ-साथ पुरानी प्रजाति के सेब की बागवानी करते थे जो अब लगभग समाप्ति के कगार पर थे।
ऐसे में विजय चौधरी सहित गांव के कुछ युवकों ने गांव में हिमाचल व उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में फलफूल रहे विदेशी प्रजाति के सेब रूट स्टाक की बागवानी करने का निर्णय लिया।
ऐसे जुझारू युवाओं के लिए बागवानी विभाग की एप्पल मिशन योजना है जिसमें बागवानों को सेब के पौधों की खरीद व ड्रिप सिंचाई जैसे उपकरणों पर 80 प्रतिशत का अनुदान मिलता है।
इनके सहयोग के लिए कलासन एप्पल नर्सरी के मालिक व हिमाचल प्रदेश व अब उत्तराखंड में बागवानी का काम कर रहे एक सफल बागवान विक्रम रावत आगे आये। उन्होंने यहां के युवकों को न सिर्फ अच्छी प्रजाति के सेब के पौधे उपलब्ध करवाए बल्कि इनकी बाग लगाने में तकनीकी मदद भी की।
जिससे दो साल में भी सेब की फसल आ गई तथा उन्हें इसी वर्ष मंडी में अच्छे दाम भी मिले।
गांव में लोग परम्परागत रूप से बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन भी करते थे पर पौली हाऊस लगाने में 90 प्रतिशत के सरकारी सहायता मिलने से गांव में दो दर्जन से अधिक पौली हाऊस लग गये। जिनमें उत्पादन लगभग दो गुना हुआ और आसमानी आपदाओं से बच गये।
सेब के बागवान विजय चौधरी बताते हैं कि अच्छी तकनीकी व खाद पानी से सेब व सब्जियों के उत्पादन में अच्छा रोजगार कमाया जा सकता है।
गांव के कुछ युवा मुर्गी पालन व बकरी पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं, तो कुछ युवा मछली पालन व मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने की योजना पर काम कर रहे हैं।
तीन चार युवाओं ने शहरों से रिवर्स पलायन कर अपने घरों के ताले खोलकर बागवानी व मुर्गीपालन के व्यवसाय से जुड़ गये हैं और अब गांव के बंजर खेत भी सोना उगलने को तैयार हैं।
गांव में बागवानी की प्रगति को देखते हुए आस-पास के ग्रामीण भी यहां आकर काफी प्रभावित हो रहे हैं।
हिमाचल के बाद अब उत्तराखंड में बागवानी का काम शुरू करने वाले कलासन नर्सरी के मालिक विक्रम रावत का कहना है कि पलायन के लिए कुख्यात यहां के गांवों के युवाओं का झुकाव अब तेजी से बागवानी की ओर बढ़ रहा है।
उन्हें मालूम है, शहरों में जितनी मेहनत से वे दो जून की रोटी का जुगाड़ कर है, उससे भी कम मेहनत में अपने ही गांव शहर से बेहतर जिंदगी बिताई जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *