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जन्माष्टमी व्रत उस दिन जिस दिन 12 बजे रात्री अष्टमी हो आचार्य ममगाईं

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जमुना के इस वार रहने वाले हम लोगों में जन्मोत्सव मनाने की परम्परा है और जन्मोत्सव मनाना चाहिए जमुना के उस पार नन्दोत्सव क्योंकि जमुना पार अगर प्रातः 8 बजे भी अष्टमी होती तो उसी दिन मनाने का नियम है और जमुना के इतवार 11 बजे रात भी जन्माष्टमी शुरू होती है उसी दिन जिस दिन 12 रात्रि तक जाय मनाने का नियम है ,
भगवान कृष्ण स्वयं युधिष्ठिर से ब्रत के पूछने पर कहते हैं । युधिष्ठिर नें कहा जन्मोत्सव आपका कब मनाना चाहिए तो भगवान कृष्ण बोले

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मासि भाद्रपदेSष्टम्याम निशीथे कृष्णपक्षके।
शंशाके वृषराशिस्थे ऋक्षे रोहणी संज्ञके भगवान कृष्ण बोले हे युधिष्ठिर भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी को अर्धरात्रि के समय रोहणी नक्षत्र और वृष का चंद्रमा था।
योगेSस्मिन्वसुदेवाद्धि देवकी मामजीजनत् ।*
भगवत्याश्च तत्रेव क्रियते सुमहोत्सव।।


ब्रतराज श्लोक संख्या 14/15 जन्माष्टमी ब्रत विधि के अनुसार भगवान कहते हैं ऐसे योग रहते वसुदेव देवकी जी नें मुझे उत्पन्न किया था अतः उसी समय सब लोग मेरा जन्मोत्सव मनाते हैं और मनाना चाहिए , जन्मोत्सव दूसरे दिन आपको बता दें इस वर्ष 18 अगस्त 2022 भाद्रपद कृष्ण अष्टमी रात्री 9 बजकर 20 से शुरू हो रही है तो हम सबको 12 बजे रात्री में जन्मोत्सव मनाना तो 18 को ब्रत रखना है 19 तारीख को अष्टमी 10 बजकर 59 मिनट पर समाप्त हो रही तब नवमी शुरू होगी तो हमारे यहां 12 बजे रात्री उत्सव मनाये जाने की परम्परा है इसमें कोई संदेह नही है 18 को जन्माष्टमी ब्रत है ।और स्मार्त ब्रत 18 को बैष्णव जनों का ब्रत 19 को को संखा या भ्रमित न होयें छुट्टी जिस दिन उस दिन ब्रत नहीं होता बल्कि अष्टमी जिस दिन 12 जाय उस दिन ही ब्रत होना चाहिए यह नियम है ।।

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