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हमारे पारंपरिक ज्ञान की संवाहक है संस्कृत

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केंद्रीय संस्कृत विवि देवप्रयाग के छात्रों ने संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत रैली निकाली

डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल,वरिष्ठ पत्रकार

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग तथा श्री रघुनाथ कीर्ति संस्कृत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों की कडी़ में बृहस्पतिवार को श्रावणी पर्व पर नगर में संस्कृत की जागरूकता रैली निकाली और इसके पश्चात संगम पर आयोजित कार्यक्रम में नए यज्ञोपवीत धारण किए। रैली में छात्रों ने लोगों को संस्कृत के लाभ बताते हुए इसे वार्तालाप में अनिवार्य रूप से शामिल करने पर बल दिया।
संस्कृत दिवस पर प्रातः 8:00 बजे रैली श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर से निदेशक प्रो. एम. चंद्रशेखर के मार्गदर्शन में आरंभ हुई, जो बाह बाजार, बीच बाजार होते हुए श्री रघुनाथ मंदिर के परिसर में संपन्न हुई। यहां पर छात्रों को संबोधित करते हुए निदेशक प्रो. एम. चंद्रशेखर ने कहा कि भारत में संस्कृत का महत्त्व आदिकाल से रहा है। इस भाषा ने हमें विभिन्न रूपों में ज्ञान का भंडार प्रदान किया है। वेद, पुराण इत्यादि का ज्ञान हम तक संस्कृत के माध्यम से ही पहुंचा है। आज दिन-प्रतिदिन संस्कृत का महत्त्व देश-दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया की सभी लोगों को संस्कृत में वार्तालाप के प्रति प्रेरित करें। इस अवसर पर वरिष्ठ नागरिक सेठ गोविंद प्रसाद पंचभैया ने रघुनाथ कीर्ति परिसर के छात्रों के इस कार्य की सराहना की। श्री रघुनाथ कीर्ति संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. शैलेंद्र कोटियाल ने कहा कि देवप्रयाग संस्कृत के विद्वानों की भूमि रही है। विद्या, धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में देवप्रयाग का बहुत बड़ा महत्त्व है। यहां पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का परिसर खुलने से इस नगरी का महत्त्व और बढ़ गया है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए वेद विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र प्रसाद उनियाल ने कहा कि देवप्रयाग संस्कृत के क्षेत्र में एक दिन विशेष पहचान बनाएगा। उधर, इसके बाद सभी प्राध्यापकों और छात्रों ने श्री रघुनाथ भगवान के दर्शन कर पूजा-अर्चना की और अलकनंदा-भागीरथी के संगम पर श्रावणी पर्व पर अनुष्ठान आयोजित कर नए यज्ञोपवीत धारण किए। इस कार्यक्रम का संयोजन डॉ.शैलेन्द्र प्रसाद उनियाल ने किया। इस अवसर पर डॉ. सच्चिदानंद स्नेही डॉ. अरविंद सिंह गौर डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल, डॉ. दिनेशचन्द्र पाण्डेय,डॉ. अवधेश , डॉ रघु बी.राज, जनार्दन सुबेदी, डॉ.मनीषा आर्या. डॉ मौनिका बोल्ला, डॉ. सुशील कुमार बडोनी, अमित बंदोलिया,प्रीति कोटियाल तिवारी आदि मौजूद थे।

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