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बडी खबर:मास्टर सहाब बोले प्रमोशन जाए भाड़ में- हम देहरादून में ही ठीक हम ड्यूटी नही करेंगे पहाड़ में- पढ़ें पूरी रिपोर्ट


कुलदीप सिंह बिष्ट ,पौड़ी

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कई मास्टरों को देहरादून से प्यार- प्रमोशन होने के बावजूद भी पहाड़ में ड्यूटी करने से इंकार- ऐसे में कैसे बदलेगी पहाड़ों के स्कूलों की तस्वीर सरकार-
• उत्तराखण्ड़ के पहाड़ी क्षेत्रों सेवा देने से कतरा रहे हैं शिक्षक
• मैदान से पहाड़ जाने को तैयार नहीं हैं कई शिक्षक
• दून में पोस्टिंग के लिए छोड़ रहें हैं प्रमोशन
• सरकारी स्कूलों में लगातार लग रहे हैं ताले
• शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का ऐलान जल्द होगा तबादला नियमावली में संशोधन

पौड़ी-उत्तराखण्ड़ के पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार पलायन जारी है ,और इसका मुख्य कारण है शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार ,जिनके अभाव में लोग लगातार पहाड़ को छोड़कर देहरादून दिल्ली आने को मजबूर हैं, सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी इन पर लगाम नहीं लग रहा है बात करें शिक्षा की तो शिक्षा के हालत ढ़ाक के तीन पात हैं, और अधिकत्तर विद्यालय शिक्षक विहिन चल रहे हैं ,क्यों की अधिकत्तर शिक्षकों की ख्वाहिश है की उनकों पहाड़ में नहीं देहरादू शहर में तबादला चाहिए ,लेकिन हद तो देखिए शिक्षक देहरादून के बाने अपना प्रमोशन को भी ठुकरा रहे हैं। इसी का मुख्यकारण है कि सरकारी स्कूलों में लगातार ताले लटक रहे हैंष हैं दअरसल कुछ दिनों पूर्व ही पौड़ी में गढवाल मण्डल के अपर निदेशक महावीर सिंह की अध्यक्षता में गढवाल मण्डल के शिक्षको की कांउसलिंग पूरी हुई है इसमें प्राइमरी हेडमास्टर और जूनियर के शिक्षको को एलटी सवंर्ग में पदोन्न करने के लिये कांउसलिंग तो रखी गई लेकिन 30 फीसदी कोटे के तहत सभी पदों को लेकर शिक्षको के विकल्प यहां महकमे को मिल ही नही पाये एलटी के 295 पदों को जहां गढवाल मण्डल में 30 फीसदी कोटे से भरा जाना था तो वहीं इसके सापेक्ष 163 पदों पर विभाग को विक्लप मिल सके इससे शेष पदों पर कांउसंलिंग हो नहीं हो पाई जिसकी मुख्य वजह शिक्षको को पहाडी जिले में नही ब्लकी सुगम जिले देहरादून में दिलचस्पी थी अधिकतर शिक्षको ने देहरादून का विक्लप मांगा लेकिन ये विक्लप पदों में न होने से शिक्षको ने अपनी पदोन्नी की ठुकरा डाला, गढवाल मण्डल के अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर बिष्ट ने इसे बहुत बडी विडम्बना माना है कि उन्होने बताया कि देहरादून का मोह लगाये शिक्षक पहाड पर रहकर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में अब बिलकुल भी दिलचस्पी नही रख रहे हैं जो कि शिक्षा विभाग के लिये भी चिंता का विषय है, लेकिन शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत लगातार यह बात कह रहे हैं कि जल्द हम ऐसी नीति बनाएंगे जो लोग सालों से दुर्गम में डटे हुए हैं उनकों सुगम में भेजा जायेगा और जो सुगम में डटे हुए हैं उनको दुर्गम में भेजा जायेगा, अब देखना होगा की शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत का ये वादा कब तक जमीन पर उतरता है और पहाड़ के विरान पड़े स्कूलों में फिर कब रौनक लौटती हैं।

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