मुख्य बात – गढ़वाली भाषा में लोक कथाओं की पहली पुस्तक
गढ़वाली भाषा पाठ्यक्रम के बच्चों हेतु उपयुक्त पुस्तक
विगत दिनों नगर निगम ऋषिकेश के स्वर्ण जयंती सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार मनोज भट्ट ‘गढ़वळि’ की चौथी पुस्तक ‘कथा काणी – रात ब्याणी’ का लोकार्पण ‘धाद’ के संस्थापक व वरिष्ठ साहित्यकार लोकेश नवानी जी की गरिमामयी अध्यक्षता में विशिष्ट अतिथि भाषाविद व ‘धाद’ पत्रिका के संपादक श्री गणेश खुगशाल ‘गणी’ जी, आवाज साहित्यिक संस्था के संयोजक डॉ0 सुनील दत्त थपलियाल जी, मुख्य अतिथि भाषाविद रमाकांत बेंजवाल , वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 उमेश चमोला , समीक्षक वरिष्ठ साहित्यकार महेशानंद के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया ।
इस मौके पर वक्ता डॉ0 उमेश चमोला जी ने इस पुस्तक को गढ़वाली भाषा के लिए बहुत ही उपयोगी बताया उनके द्वारा कहा गया कि यह पुस्तक बच्चों के पाठ्यक्रम के लिए भी बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी । और उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से और दृष्टिकोण बदलने में भी सहायक होगी ।
इस मौके पर समीक्षक वरिष्ठ साहित्यकार श्री महेशानंद जी द्वारा कहा गया कि पुस्तक में गढ़वाली भाषा के ठेठ शब्दों की भरमार है साथ ही कहावत और पखाणा भी भरपूर हैं । जो नई पीढ़ी के बच्चों के लिए सार्थक सिद्ध हो सकते हैं ।
भाषाविद रमाकांत बेंजवाल जी ने कहा कि गढ़वाली भाषा में प्रकाशित लोक कथाओं की यह पहली पुस्तक है इससे पहले जितनी भी लोक कथाएं लिखी गई वह या तो हिंदी में लिखे गए या टुकड़ों टुकड़ों में लिखे गये ।
भाषाविद गणेश खुगशाल ‘गणी’ जी ने लोक कथाओं की दिशा में किये गये इस प्रयास के लिए उनकी तारीफ की और कहा कि येलोक कथाएं जन सामान्य के मानस से जुड़ी हुई हैं ।
अपने अध्यक्षीय भाषण में लोकेश नवानी ने कथा कहानियों के वर्कशॉप करवाने और भाषा के मानकीकरण पर जोर दिया ।
मनोज भट्ट ‘गढ़वळि’ की इससे पूर्व तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । जिनमें ‘एक अंज्वाळ द्वी मुट्ठी’ काव्य संग्रह, ‘घेरा’ कथा संग्रह और ‘क्वांसु पराण’ काव्य संग्रह हैं । आप पिछले दो दशकों से भाषा के प्रति समर्पित हैं ।
वर्तमान में आपके लेख, कविताएं और कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं । आप आकाशवाणी पौड़ी देहरादून व दूरदर्शन में भी अपनी प्रस्तुतियां देते रहते हैं ।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार शांति प्रकाश ‘जिज्ञासु’ के द्वारा किया गया । पुस्तक की भूमिका देवेश जोशी द्वारा लिखी गयी व मुखपृष्ठ लता शुक्ला जी द्वारा तैयार किया गया है । पुस्तक का प्रकाशन रावत डिजिटल द्वारा किया गया ।
इस मौके पर अशोक क्रेजी, डॉ0 सुनील दत्त थपलियाल, सत्येंद्र चौहान, बीना बेंजवाल, बीना कंडारी, शांति बिंजोला, रक्षा बौड़ाई, के पी जोशी, धनवीर पयाल, सुंदर श्याम कुकरेती, अनिल भट्ट, विनोद भट्ट गीता भट्ट हेमा भट्ट आदि उपस्थित रहे ।