भारतीय चिकित्सा परिषद के पूर्व बोर्ड सदस्य डा. महेन्द्र राणा ने आयुर्वेद विश्व विद्यालय के कुलपति डा.जोशी के खिलाफ हो रहे षडयंत्र की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए बयान जारी किया कि उत्तराखंड में आयुष चिकित्सा के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य करने वाले उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डा.सुनील जोशी के खिलाफ शासन में बैठे कुछ भ्रष्ट एवं उत्तराखंड विरोधी अफसरों का गैंग जबरदस्त षडयंत्र कर रहा है। यह काम सिर्फ एक भ्रष्ट और विवादित अधिकारी को आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर स्थापित करने के लिए किया जा रहा है।इस विवादित अधिकारी को आयुर्वेद विश्वविद्यालय में स्थापित करने के लिए डा.सुनील जोशी को वहां से हटाना पड़ेगा, इसलिए उनके खिलाफ यह षडयंत्र किया जा रहा है।
इस पूरे मामले में सचिव स्तर के दो अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है ,जो पहले एनएच भूमि घोटाले में निलंबित रह चुके हैं। ऐसे अधिकारियों की उत्तराखंड के प्रति निष्ठा संदिग्ध रही है। वह अपना घर भरने, संदिग्ध लोगों को संरक्षण देने और इमानदार और बेहतर काम करने वाले लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए काम करते रहे हैं। इनका पिछला रिकार्ड इसकी पुष्टि करता है। डा. महेन्द्र राणा ने प्रदेश सरकार से आग्रह करते हुए कहा।
कि उत्तराखंड में आयुष विभाग को मजबूती देने वाले मनीषी, वेद पुराणों से निकालकर मर्म चिकित्सा को नए आयाम देने वाले मर्मज्ञ डा. सुनील जोशी के खिलाफ हो रहे षडयंत्र का यथाशीघ्र संज्ञान लें और महाभ्रष्ट और कुटिल प्रवृत्ति के अफसरों के मंसूबों को पूरा नहीं होने से रोकें ।ग़ौरतलब है इस प्रकरण में पहाड़ी महासभा ने भी डा.सुनील जोशी के समर्थन में ऐलान किया है कि यदि प्रदेश सरकार जल्दी ही उत्तराखंड के गौरव डा. जोशी के ख़िलाफ़ हो रहे इस षड्यंत्र का पटाक्षेप नही करती है तो महासभा एक व्यापक जन आंदोलन करेगी ।