पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ पत्रकार मनोज रावत की फेसबुक वॉल से
जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के इस्तीफे के बाद एक्ट के प्रावधानों की विवेचना के बारे में पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ पत्रकार मनोज रावत ने इस तरह से विवेचना की है उत्तराखंड पंचायत एक्ट के अनुसार, अब क्या होगा
उत्तराखण्ड पंचायत एक्ट के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष अथवा सदस्य के इस्तीफे और उससे उत्पन्न रिक्ति की विवेचना –
1- इस्तीफा दिया जा सकता है ।
2- राजा सरकार द्वारा विहित अधिकारी को संबोधित कर दिया जा सकता है ।
3- लेकिन उस इस्तीफे को एक्ट की धारा – 97 के खंड-2 के अनुसार 10 दिन के भीतर वापस भी लिया जा सकता है।
4- याने इस्तीफे के मतलब पद का खाली होने नहीं है।
5- इस्तीफा एक कागज का टुकड़े पर व्यक्त मनोभावना है जिसे देने वाला अध्यक्ष या सदस्य भी 10 दिन के भीतर वापस ले सकता है । और विहित अधिकारी भी स्वीकृत नही कर सकता है अथवा स्वीकृत करने में कितने दिन लगाएगा यह पंचायत राज्य एक्ट में कंही भी नही लिखा गया है।
6- अध्यक्ष पद खाली केवल और केवल इस्तीफे देने के 10 दिन बाद यदि इस्तीफा देने वाले ने उसे वापस न लिया हो अथवा विहित अधिकारी द्वारा इस्तीफे की सूचना जिला पंचायत कार्यालय को भेजने के बाद ही होगा।
क्या इस्तीफे के बाद अविश्वास प्रस्ताव का औचित्य है ?
1- कोई भी प्रस्ताव सदस्यों द्वारा एक्ट के भीतर एक सामूहिक विचार है । जिसे एक्ट में तय प्रक्रिया के बाद चर्चा के लिए सदन में रखा जाता है और उस पर मतदान भी होता है ।
2- अविश्वास प्रस्ताव का मतलब अध्यक्ष या किसी पदाधिकारी को पद से हटाना ही नहीं है उन कारणों पर भी चर्चा है जो हटाने के कारण बन रहे हैं ।
3- क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव एक निश्चित प्रक्रिया के अंतर्गत आया है । अब सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान होना है इसलिए आगे की कार्यवाही नही रुक सकती है ।
4- क्योंकि सदन की पीठासीन अधिकारी याने अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव है इसलिए आज एक्ट के अनुसार जिला जज इस प्रस्ताव पर चर्चा सुनेंगे और मतदान करवाएंगे।
याने एक्ट के प्राविधानों के अनुसार आज अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सदन आहूत होगा ही होगा ।