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Monkeypox Virus: कितना खतरनाक है मंकीपॉक्स वायरस? क्या हैं इसके लक्षण और इलाज?

दुनिया अभी कोरोना महामारी से उभरी भी नहीं कि एक और वायरस मंकीपॉक्स ने दस्तक दे दी है। जो तेजी से अपने पांव पसार रहा है। दुनिया भर में मंकीपॉक्स के अब तक 92 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, यह मामले  15 देशों में मिले हैं। हालांकि भारत में अभी तक इसका कोई भी मामला सामने नहीं आया है। लेकिन भारत भी इस बढ़ते खतरे को देखते हुए सतर्क हो गया है। केंद्र सरकार ने इसे लेकर ‘नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल’ और ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। वहीं WHO ने भी मंकीपॉक्स को लेकर चेतावनी दी है कि जिन देशों में यह संक्रमण नहीं फैला है, वहां मंकीपॉक्स के और अधिक मामले सामने आ सकते हैं।

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क्या है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है, जिसमें स्मॉल पॉक्स यानि चेचक जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि यह इलाज की दृष्टि से कम गंभीर है। बता दें कि 1958 में बंदरों में दो चेचक जैसी बीमारियों का पता लगा था, उनमें से ही एक मंकीपॉक्स था। जो 1980 में चेचक के उन्मूलन और बाद में स्मॉल पॉक्स के टीकाकरण की समाप्ति के साथ मंकीपॉक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद गंभीर समस्या बनकर उभरा है। मंकीपॉक्स वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्स विरिडे परिवार के ऑर्थो पॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स, चेचक की तुलना में हल्का होता है और इसके संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है, लेकिन यह 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और एनर्जी की कमी जैसे लक्षण इसकी विशेषता हैं जो पहले स्मॉल पॉक्स की तरह ही नजर आते हैं। इसके साथ ही त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार दिखने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू हो जाता है। दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।

मंकीपॉक्स के लिए उपचार

मंकीपॉक्स वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों को अक्सर चेचक टीकों में से कुछ खुराक दी जाती हैं, क्योंकि अभी यही मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी दिखा है। इसके अलावा, साइंटिस्ट एंटीवायरल दवाएं बनाने में भी लगे हुए हैं।  यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ने सभी संदिग्ध मरीजों को अलग रखने और अधिक जोखिम वाले लोगों को चेचक के टीके लगाने की सिफारिश की है। हालांकि मंकीपॉक्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए टीकाकरण का आकलन करने के लिए अब स्टडी चल रही है।

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