उत्तराखंड में सदियों से बोली और लिखी जा रही गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषाओं के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने की आस एक बार फिर से जगने लगी है। जिसके लिए सामजसेवी एवं दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष डा.विनोद बछेती ने बड़ी पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पत्र लिखा है।
दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष डा.विनोद बछेती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र प्रेषित कर उत्तराखंड की सर्वमान्य लोकभाषा गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। इसी के साथ डॉ.बछेती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तराखंड के साहित्यकारों के एक प्रतिनिधि मंडल को समय देने का निवेदन भी किया हैं,ताकि यह प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से मिलकर गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा के महत्व और इस क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों से अवगत करा सकें।
गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र में दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष डा.विनोद बछेती ने लिखा हैं कि उत्तराखंड की गढ़वाली-कुनाऊंनी-जौनसारी भाषाओं को भी अन्य भाषाओं की तरह संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने के लिए आपसे आग्रह करता हूं। आपसे आग्रह करता हूं कि इस विषय को लेकर आप से उत्तराखंड का एक प्रतिनिधि मंडल मिलना चाहता है। आपसे निवेदन हैं कि इस विषय पर चर्चा हेतु हमें समय प्रदान करने की कृपा करें।
आपको बता दें कि डॉ.विनोद बछेती पिछले कई वर्षों से दिल्ली-एनसीआर में ‘उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच’ एवं ‘दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट‘ के तत्वावधान में गढ़वाली-कुमाऊँनी एवं जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने तथा प्रवासी उत्तराखंडियों के बच्चों को अपनी भाषा-बोली सिखाने के लिए लगातार पहल कर रहे है। यहि वजह भी हैं आज दिल्ली-एनसीआर में बड़ी संख्या में उत्तराखंड के बच्चे अपनी भाषा-बोली बोल भी रहे हैं और उसका प्रचार-प्रसार भी कर रहे है।
दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष डा.विनोद बछेती ने पीएम मोदी और गृह मंत्री को लिखे पत्र के बारे में बताया की गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा उत्तराखंड की राजभाषा रही है,आज भी लगभग 70 लाख से अधिक लोग इन भाषाओं को बोलते हैं,सदियों से गढ़वाली-कुमाऊँनी-जौनसारी भाषा में साहित्य सृजन हो रहा है एवं हजारों पुस्तकें इन भाषाओं के प्रकाशित हुई हैं। साहित्य की सभी विधाओं काव्य संग्रह,कहानी संग्रह,नाटक,एकांकी,उपन्यास,संस्मरण,साक्षात्कार,निबंध,महाकाव्य,भाषा,व्याकरण शब्दकोश के रूप में गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा के कई ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। किसी भी समाज की भाषा उसका एक मुख्य अंग होती है,अगर भाषा जीवित रहेगी तो,संस्कृति भी जीवित रहती है। इस लिए हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए पत्र लिखा है। हमें उम्मीद हैं कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्राधनमंत्री जी जल्द से जल्द उत्तराखंड वासियों को सम्मान देंगे।
आपको बता दें कि गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए लोकसभा में नैनीताल से सांसद अजय भट्ट ने निजी विधेयक पेश किया था। इस निजी विधेयक पेश करने के उद्देश्यों के बारे में कहा गया था कि संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है। लेकिन,यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाखों लोगों की ओर से बोली जाने वाली गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी को अभी तक आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। अब देखने वाली बात यह होगी की दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष डा.विनोद बछेती के इस पत्र पर केंद्र सरकार कब संज्ञान लेती है।