सोनू उनियाल की रिपोर्ट
तपोवन का बिलागढ़ गाँव मे हुआ पलायन
रोजगार के आभाव मैं ग्रामीण पलायन को हुये मजबूर
देहरादून। उत्तराखंड बनने के 21 वर्षों बाद भी कुछ ऐसी मूलभूत समस्याएं हैं जो उत्तराखंड बनने के बावजूद भी सरकारों की उदासीनता के चलते बद से बदतर हुई हैं। उत्तराखंड में पलायन एक अति गंभीर समस्या है जिसके चलते खाली हो रहे हैं गांव, और घर खंडहर बनते जा रहे हैं। बात दे कि चमोली जिले के जोशीमठ विकासखण्ड तपोवन के बिलागढ़ गांव मे इन पिछले 21 सालों मैं रोजगार, तथा अन्य सुविधायें न होने के चलते यहाँ से ग्रामीण लगभग पलायन कर चुके है। उत्तर प्रदेश के समय इस गांव मे लगभग 60 परिवार निवास करते थे। लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद सुविधाओ के आभाव के चलते लगभग आधा गाव खाली हो चुका है। इन 20 सालो मैं पहले इस विलागढ़ गाँव मे 60 परिवार रहते थे लेकिन अब मात्र 10 परिवार ही इस गाँव मे रहता है। ग्रामीणों की माने तो विधानसभा चुनाव में पलायन कोई अहम मुद्दा नहीं बन पाया है। 21 वर्षों के सफर में उत्तराखंड में भाजपा कांग्रेस दोनो ही सरकारें आई और गई मगर पलायन के रोकथाम के लिए कोई ठोस रोड मैप तैयार करने में पूरी तरह से फैल ही साबित हुई। पिछले पांच सालों मैं बिलागढ़ गांव मे लगभग 300 वोटर थे। लेकिन अब केवल 100 वोटर ही रह गए है। जो कि बेहतर गंभीर मुद्दा है।
बॉक्स सामाचार
पलायन के सबसे बड़े कारण
रोजगार की समस्या
पलायन की सबसे बड़ी समस्या रोजगार है। रोजगार न होने से इस गाँव के लोग बाहर पलायन कर चुके है। जबकि बिलागढ़ गाँव के सामने जल विधुत परियोजना का निर्माण किया जा रहा है लेकिन यहाँ के लोगो को इस परियोजना से रोजगार नही मिल पाया है। जबकि बिलागढ़ गांव परियोजना प्रभावित है।
मूलभूत सुविधाओं का आभाव
पहाड़ी क्षेत्रों मे मूलभूत सुविधाओं का भारी आभाव है। जिस कारण लोग पलायन करने को मजबूर है। इस गाँव मे कई मकान खंडहर हो चुके है।
बदहाल स्वास्थ्य सुविधाएं
बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव होने से लोगो को इलाज के लिये बाहर जाना पड़ता है।
स्थानीय निवासी सुभाष थपलियाल कहते है कि रोजगार जैसी सुविधाएं न होने के चलते बिलागढ़ गांव मे पलायन हुआ है। पहले इस गाँव मे 60 परिवार रहते थे पलायन के बाद अब केवल 10 परिवार ही इस गाँव मे रह गए है। 2017 मैं बिलागढ़ गाँव मे 300 मतदाता थे। लेकिन 2022 मैं केवल 100 वोटर ही रह गए है। जो कि एक बड़ी गंभीर समस्या है। हालांकि सरकार द्वारा पलायन रोकने के लाख दावे किए हो लेकिन पलायन को रोकने मैं कोई भी सरकार सफल नही हो पाई है।