/नहीं रहे डी एस आर ,पंचतत्व में विलीन ///// 1999 में जब मैं शिक्षा विभाग में सरकारी सेवा में आया तो जखोली ब्लॉक के चर्चित विद्यालय रा इ का रामाश्रम के स्टॉफ से मिलने का मौका मिला । फिर मुलाकातें होती रहीं ।कुछ लोग जैसे पंवार सर ,शिव सिंह नेगी भाई साहब ,रतूड़ी जी ,मुकुंद लाल भाई साहब आज भी करीब महसूस होते हैं ।पांचवें व्यक्ति थे जो दूर से ही पहचान में आ जाते थे । रामाश्रम स्कूल की शान और बाद में जाना वे तो जखोली परिक्षेत्र की बौद्धिक सम्पति हैं । सुदर्शन चेहरे पर खूबसूरत मूंछें ,लम्बी सुडौल कद – काठी ,सबसे बहुत प्यार और सम्मान से बात करना ,अनौपचारिक बातचीत में कुछ खुलकर लेकिन औपचारिक बातचीत में बेहद अनुशासित ,उनके मुंह से निकल शब्द नफ़ासत पाते थे , कुल मिलाकर बेहद आकर्षक व्यक्तित्व , उनको जानने और पहचानने वाले जानते हैं कि डी एस आर ( दर्शन सिंह रावत जी ) ऐसे ही थे बल्कि इससे भी बढ़कर थे । ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रमों / मेलों में संचालक के रूप में भी उनकी पहचान थी ।2025 में उन्हें सेवानिवृत्त होना था लेकिन वे 2021 के आखिरी महीने से पहले ही महाप्रयाण कर गए ! रा इ का रामाश्रम में प्रवक्ता नागरिक शास्त्र के पद पर कार्यरत डी एस रावत इस विद्यालय में काफी लंबे समय से कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में भी कार्य कर रहे थे । ब्लॉक मुख्यालय का विद्यालय होने के कारण यहां पर आयोजित होने वाली अनेक गतिविधियों को संचालित करने का उन्हें बहुत अनुभव था ,हुनरमंद आदमी थे तो बड़ी आसानी से कार्य निष्पादन करते थे । वे गवर्नेंस अवार्ड के साथ ही अनेक सम्मानों से अलंकृत हुए और शिक्षा विभाग में एक आदर्श शिक्षक और प्रशासक के के रूप में जाने जाते थे । आर्ट स्ट्रीम के विषय अध्यापक होने के बाद भी तब के साइंस स्ट्रीम के छात्र और अब अध्यापक श्री अनिल उनियाल ,श्री सुनील उनियाल ,श्री दिनेश कोठारी ,श्री मनोहर ममगाईं आदि के वे आदर्श हैं । ऐसे ही सैकड़ों लोगों के वे आदर्श हैं । 24 साल तक उनके साथ एक ही स्टॉफ में रहे श्री शिव सिंह नेगी बताते हैं कि धैर्य और विनम्रता उनकी सबसे बड़ी विशेषताएं थीं । मुझे पिछले 7 महीनों से डी एस आर जी को बहुत करीब से जानने ,समझने का सुअवसर मिला पर दुर्भाग्य है कि ये अवसर अब खत्म हो गया । बहुत डाउन टु अर्थ थे वे । घर जाओ तो प्रेमवश 2 चाय पिलाते थे । उनके पड़ोसी भाई प्रभुदयाल भंडारी जी अक्सर कहते थे – भाई साहब राम है । सचमुच उनमें वैसा ही धैर्य और विनम्रता थी और वे आदर्शों के पर्याय थे । परिवहन अधिकारी कवि अनिल सिंह नेगी जो पूर्व में शिक्षा विभाग में रामाश्रम में कार्यरत रहे, कहते हैं – उनका आभामंडल चमत्कृत करता था । वे कहते हैं कि जब वे कभी विद्यालय के चार्ज में रहते थे तो हमारे साथ बैठ जाते थे ,कार्यालयी बारीकियां पूछते और बताते थे और चाय जरूर पिलाते थे । ना इ का बजीरा के प्रधानाचार्य श्री शिव सिंह रावत डी एस आर जी के निधन को शिक्षा विभाग और क्षेत्र की बड़ी क्षति मानते हैं । जो लोग 2 महीने पहले उन्हें मिले होंगे उन्हें यकीन नहीं होगा कि ऐसा हो गया ! 2 माह पूर्व वे ठीक थे । बाद में भी हम बैठे लेकिन 2 अक्टूबर का मुझे याद है ,हम काफी देर साथ बैठे रहे । उनको पेट सम्बन्धी दिक्कत थी ,एक -दो बार उन्होंने मुझसे कहा कि भूख नहीं लग रही । बीमार होने पर उन्हें जगह -जगह दिखाया गया ।आखिर में वे जौली ग्रांट भर्ती रहे जहां से वे घर आये और कल 29 नवंबर 2021 को रात 11:50 pm पर वे गोलोक चले गए । डी एस आर जी की धर्मपत्नी श्रीमती सरला देवी भी कुछ अस्वस्थ हैं ।उनके रेगुलर चेक अप और उपचार के लिए वे ज्यादातर खुद ही साथ जाते थे । अवकाश के दिन ही ज्यादातर जाने का शेड्यूल होता था ।दीदी (श्रीमती सरला रावत) ओंकारनन्द स्कूल में शिक्षिका रहीं उनके स्टूडेंट्स उनकी बहुत प्रशंसा करते हैं । दीदी अपने गांव बच्वाड़ की प्रधान भी रहीं । डी एस आर जी को मैंने कुछ किताबें और मैगजीन्स पढ़ने को दी जो दीदी ने ही पहले पढ़ीं । मैंने दीदी को हमेशा सकारात्मक बातें करते ,पढ़ते -लिखते ,हल्का फुल्का मजाक करते ही देखा पर आज मंजर कुछ और था ! सब्र का बांध टूट चुका था ! आज जब उन्होंने कहा ‘अब हमुन कै दगड़ि रण’ तो मेरा गला भर आया … बेटे अंकित और वरुण ने खुद को जैसे -तैसे सम्भाल लिया लेकिन बेटी तो बेटी होती है .. भाई साहब रावत जी की बीमारी में परिवार ,बन्धु बांधवों ने खूब सेवा की ! उनके बेटों के साथ भतीजे वीर विक्रम और जगमोहन ने बहुत सेवा – शुश्रूषा की, ये सब लोग आज अपने परिवार के सबसे चमकते सितारे के अस्त होने पर गमगीन थे और उनके आंसुओं की कोई सीमा न थी लेकिन एक किरदार ऐसा भी था जो राम की परछाई हमेशा रहा है और रहेगा । जिसने अपने भाई को अग्निदेव को समर्पित करने के बाद भी आंसुओं को संभाल कर रखा ! बच्चे और बड़े ये न समझ लें कि यही कमजोर पड़ गया ! अब तो जिम्मेदारी और बढ़ गई ।उस व्यक्ति की सुर्ख हुई आंखें ये तस्दीक कर रही थीं कि इन उनींदी आंखों में भाई के ठीक होने का सपना अधूरा ही रह गया , रोने की ख्वाइश है पर रो नहीं सकतीं । ऐसे परिवार ,ऐसे भाई ही हमारे समाज के उजले पक्षों में से हैं । व्यक्ति चला जाता है लेकिन कहानी रह जाती है ।दर्शन -राजेन्द्र की सच्ची और मार्मिक कहानी राम -लक्ष्मण के जैसी अमर रहेगी और जाहिर है आदर्श रहेगी ! डी एस आर आज हजारों को रुला गए लेकिन उनमें से कम से कम दो लोग ऐसे हैं जिनका दुख औरों से बिल्कुल अलग है ।उनकी माँ श्रीमती बिछना देवी जी और उनके बड़े भाई श्री बलवीर सिंह जी ! इनका दुख कौन समझ सकता है ! आज सुर्जप्रयाग घाट पर मन ,कर्म ,वचन से सच्चे और सुदर्शन दर्शन सिंह रावत जी की अंतिम विदाई में पहुंचे सैकड़ों लोगों की जुबान पर उनकी विनम्रता ,उदारता ,संयम ,मृदुल व्यवहार की चर्चा थी । रा इ का जयंती के कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्री शैलेन्द्र थपलियाल उनके साथ स्कूल समय में बांटकर खाना खाने की बात कर भावुक हो गए तो शिक्षक श्री परशुराम सकलानी 24 अक्टूबर को उनसे आखिरी मुलाकात पर अपने आंसू न रोक सके । शिक्षक समुदाय से श्री वीरेंद्र राणा ,श्री रतनमणि काला , श्री जसपाल चौहान ,श्री विनोद मियां ,श्री संतोष नेगी आदि यादों के झरोखों से डी एस आर जी को याद कर भाव विह्वल हो गए !! हर सेक्टर और उम्र के लोग आज उनको अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़े ! जो न आ सके वे भी इस त्रासदी पर बहुत दुखी हैं ! सच यही है —
क्षिति जल पावक गगन समीरा । पंच रचित अति अधम शरीरा ।।
अलविदा भाई साहब !!
@ गिरीश बडोनी