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बिग ब्रेकिंग- किशोर उपाध्याय के लेटर बम से कांग्रेस में भूचाल- हरीश रावत पर लगाया षड्यंत्र का आरोप

2022 के विधानसभा चुनाव के लिए अब सिर्फ कुछ ही वक्त बचा है, तो सभी दल इस चुनाव को लेकर अपनी रणनीतियों पर भी जोर शोर से लग गए हैं। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय ने एक खुला पत्र कांग्रेस चुनाव समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम लिखा है, और उस पत्र में उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि 2017 में जिस तरह से मैं हारा उससे मुझे लग रहा है कि मैं षड्यंत्र का शिकार हो गया थापढ़े आप भी क्या कुछ लिखा किशोर उपाध्याय।

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आदरणीय श्री रावत जी,मुझे अभी सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है कि आप कल 19 नवम्बर को सहसपुर विधान सभा के सेलाकुई क़स्बे में पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।आप तो जानते ही हैं 2017 में मैं विधान सभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहता था।आपके आदेश और एक विशेष तर्क पर मैंने CEC के फ़ैसले पर चुनाव लड़ने के लिये हामी भरी, जब मैंने यह तर्क दिया कि जो वहाँ से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं और 2012 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े हैं, यह उनके साथ अन्याय होगा तो केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे विश्वास दिया कि उनको सहमत करने की ज़िम्मेदारी उनकी है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ना बड़ी हिम्मत का काम है और चुनाव लड़ने के बाद ससम्मान कांग्रेस में वापसी के साथ बड़े-बड़े पदों पर विराजमान कर देना, सम्भवत: कांग्रेस की और भी इज़्ज़त बढ़ाने वाला काम है।पूर्व अध्यक्ष व गत विधान सभा चुनाव के उम्मीदवार को किस तरह इज्जत बक्शी जाती है, इस होर्डिंग से परिलक्षित होती है।2022 का रण अगर हम इस तरह की मानसिकता से जीत रहे हैं तो मुझे अपना अपमान भी सहर्ष मंज़ूर है।उत्तराखंड राज्य आंदोलन के बाद की कांग्रेस की हालत यह थी कि कांग्रेस का एक भी विधायक अन्तरिम विधान सभा में न था।आपने कांग्रेस को पुन: स्थापित किया, लेकिन मेरा भी उसमें कोई कम योगदान नहीं है।2012 का चुनाव मुझे जनता ने नहीं हराया, कांग्रेस के बड़े नेता ने षड्यन्त्र से हरवाया और अब मुझे लगता है, 2017 में भी मैं एक बड़े षड्यन्त्र का शिकार हो गया।आशा है, आप मेरी भावना को समझेंगे।सादर,किशोर उपाध्याय कांग्रेस प्रत्याशी 2017 सहसपुर विधान सभाश्री हरीश रावत जी,प्रति:-श्री देवेंद्र यादव जीश्री गणेश गोदियाल जीश्री प्रीतम सिंह जी।

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