organic ad

ओहो उमंगोत्सव में दिखे- संस्कृति के रंग- हर कोई झूमा उठा- सीएम धामी ने की कार्यक्रम में शिरकत

ओहो उमंगोत्सव में झूम उठा हर कोई
मुख्यमंत्री ने दी राज्य स्थापना दिवस की बधाई
स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियों ने मोहा मन
देहरादून।
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके को यादगार बनाने के लिए ओहो उमंगोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्थानीय कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी तो वहीं कार्यक्रम के मुख्य अथिति मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य गठन के उद्देश्यों को पूरा किये जाने की बात कही।

electronics

मंगलवार को ओहो रेडियो की ओर से हाथीबड़कला स्थित सर्वे ऑफ इंडिया ऑडिटोरियम में राज्य स्थापना दिवस को ओहो उमंगोत्सव के रूप में मनाया गया।इस मौके पर एक शाम उन खास लोगों के नाम समर्पित की गई, जिन्होंने अपनी कोशिशों से राज्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान दिलाई है। इस मौके पर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड के लोगों ने जिन सपनों के साथ उत्तराखंड के लिए आंदोलन किया था, वो अवश्य पूरे किए जाएंगे। कहा कि हर उत्तराखण्डी को ये गर्व होगा कि वह इतने सुंदर प्रदेश से है। मुख्यमंत्री नेओहो उमंगोत्सव में पहुंचे सभी कलाकारों और राज्यवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की बधाई दी। बतौर विशिष्टअथिति नरेंद्र सिंह नेगी के और जागर सम्राट पद्मश्री डा० प्रीतम भरतवाण ने कहा अपनी परम्परा को जीवित रखने के लिए इस तरह के आयोजन होने बेहद जरूरी है। इस मौके पर
प्रह्लाद मेहरा, नैन नाथ रावल, संजय पांडे,लता तिवारी पांडे, रेशमा शाह , कैलाश कुमार, मेघना चंद्रा, संकल्प खेतवाल, पूरन सिंह राठौर, किशन महिपाल और टीम घुघूती जागर ने शानदार प्रस्तुतियां दी। इनकी प्रस्तुतियों का लोगों ने पूरा आनन्द लिया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के ऑर्गेनिक पहाड़ी व्यंजनो का भी लुत्फ लोगों ने उठाया। वहीं ओहो रेडियो की सह- संस्थापक मोनिका सोलंकी ने बताया की राज्य स्थापना दिवस के साथ-साथ यह ओहो रेडियो का भी स्थापना दिवस है। पिछले साल 9 नवम्बर 2020 को ही पहली बार उत्तराखंड के पहले डिजिटल रेडियो स्टेशन का पहला लुक उत्तराखंड वासियों ने देखा था और यह एक साल का सफ़र बेहद दिलचस्प रहा । जहां आज दुनिया भर में एक हज़ार से ज़्यादा लोकेशंस पर लोग ओहो रेडियो ऐप के माध्यम से पहाड़ी गानों का लुत्फ़ उठा रहे हैं।
मंच का संचालन ओहो रेडियो के संस्थापक आर जे काव्य , आर जे ईशानी और आर जे तरुणी ने किया।

ये भी पढ़ें:  समाज में बदलाव के लिए गंगधारा की तरह विचारों की अविरलता भी आवश्यक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *