(रैबार पहाड़ का स्पेशल डेस्क)
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण सरंक्षण पर एक ऑनलाइन वेबीनार के साथ विभिन्न गतिबिधयों पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किये गये।इस वर्ष कोविड-19 की वजह से लॉक डाउन की स्थिति में सभी छात्र इस समय देश के विभिन्न राज्यों में अपने घरों में है, इस कारण इस वर्ष पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण सरंक्षण पर एक
(देखिए शानदार वीडियो)
ऑनलाइन वेबीनार के साथ विभिन्न गतिबिधयों पर आधारित कार्यों जिनमे पानी के प्राकृतिक स्रोतों (धारा) का रख रखाव, साफ सफाई, पर्यावरणीय जागरूकता, बृक्षारोपण के कार्यक्रम मुख्य रूप से आयोजित किये गये. , जिसमें जूम ऐप के माध्यम से सभी छात्र एवं प्रतिभागी वेबीनार के साथ जुड़ें. इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल द्वारा वृक्ष लगाकर इस का उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा लोकडाउन में इस तरह से आयोजन करना अपने आप अनूठी पहल है. गाऊँ से जो कार्यक्रम का विषय रखा गया व वंही से छात्र सीधे जुड़ रहें हैँ वर्तमान परिस्थितियों में इसके अलावा ओर कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने पूर्व में रोपित पेड़ो की सुरछा करना सार्थक पहल हो सकती है. इस वेबीनार के मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सच्चिदानंद भारती जिन्हे जलपुरुष के रूप में जाना जाता है उपरेंखाल क्षेत्र में पूर्ण रूप से सूख गई नदी को पुनर्जीवित करने का स्थानीय लोगों की मदद से संपन्न किया, ने अपने सम्बोधन पर्यावरण सरछण के लिए इस तरह की पहल बहुत शानदार है. पानी आने वाले समय में सबसे बड़े संकट के रूप में सामने आने वाला है इसके लिए हमें जमीनी स्तर पर पर कार्य करने की अवश्यकता है. मैती आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध व पद्मश्री से सम्मानित कल्याण सिंह रावत जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में लोगों को भावनात्मक रूप से पेड़ो से जुड़ने पर ही तभी पेड़ बच पायेंगे. पेड़ बचेंगे तभी जीवन बचेगा. बीज बचाओ आंदोलन के लिए विश्वविख्यात विजय जड़धारी ने कहा इस वर्ष पर्यावरण दिवस को जैव विविधता के रूप में मनाया जा रहा है.पारंपरिक बीजों को बचाने की आवश्यकता है पुरानी पद्धति बारहनाजा कृषि पद्धति को अपनाने पर उन्होंने जोर दिया जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखेगा तथा पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा. गढ़वाल विश्वविद्यालय भूगोल विभाग की इस पहल की उन्होंने बहुत सराहना की. प्रो.एच.पी भट्ट ने इस तरह के प्रयासों की बहुत सराहना की, जिसमें सैकड़ों छात्र अपने गाऊँ से सीधे पर्यावरणीय सरछण की गतिविधियों से ऑनलाइन जुड़े. मिजोरम विश्वविद्यालय से प्रो.विशंभर प्रसाद सती ने पानी के दुरूपयोग , पेड़ो का काटना हिमालयी संकट के रूप में माना है. हिमालय की चिंता हिमालय में रहने वाले लोंगो को अधिक करने की आवश्यकता है. क़ृषि एवं वानिकी वि वि से डॉ.एसपी सती ने इस तरह के आयोजन वि वि के इतिहास में पहली बार होगा. इन परिस्थितियों में ऑनलाइन शिछा जंहा एक मात्र बिकल्प है वंही विश्व पर्यावरण दिवस को मानाने का इससे अच्छा विकल्प क्या हो सकता है.एन डी टी वि के सुशील बहगुणा ने रिवर्स माइग्रेशन पर अपने विचार रखे व इन कार्यक्रमों को लगातार संचालित किये जाने की आवश्यकता है. कार्यक्रम के संयोजक प्रो महाबीर सिंह नेगी ने कहा इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रदेशों से प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया. सैकड़ो छात्र सीधे कार्यक्रम स्थल से जुड़े रहें।सभी छात्र अपने गांव मैं स्थानीय प्रजाति के पौधों का रोपण किया तथा प्राकृतिक पानी के स्रोत जिनमें प्रमुख रूप से धारा के आसपास की सफाई, गांव के निकट स्थिति चाल खाल जिन से खेतों की सिंचाई व पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर होती है उनकी सफाई का कार्य किया. इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए लोगों को कोविड-19 महामारी से अपने को बचाने वो दूसरों ध्यान रखने के साथ ही लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने , जंगलों में आग की घटनाएं न हों, किसी कारण से हों तो उस आग बुझाने में सहयोग करने के लिए जागरूक करने का कार्य किया. इस पर्यावरण दिवस पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा है।साथ ही आसपास पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगों से मिलना, इस अवसर पर कार्यक्रम समन्यक प्रो. बी.पी नैथानी ने कहा विभाग इस तरह के कार्यक्रम से पर्यावरण सरछनके लिए जागरूकता पैदा होती है.भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहेंगे इस अवसर पर उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर विभागअध्यक्ष प्रो एम एस एस रावत, प्रो. आर एस पवार डीन , प्रो अनीता रुडोला, डीन वाई पी रैवानी, डॉ एल पी लखेड़ा, कार्यक्रम सचिव डॉक्टर राजेश भट्ट, डॉक्टर अतुल कुमार,, नरेंद्र, अशलम, हरीश, विकास सभी विभागीय शिक्षक, कर्मचारी, शोध छात्र, स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के छात्र, विभिन्न महाविद्यालय के शिक्षक, प्रधानाचार्य कपूर पंवार, विक्रम भंडारी बलबीर रौथाण तथा वि वि के कई शिक्षक इन कार्यक्रमों में सम्मिलित रहें.
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