कोविड 19 को बचाव के लिए (S.M.S.) जरुरी हैं-, जानिए पूरी खबर

:-वैश्विक महामारी कोविड19 कोरेना वायरस से बचाव हेतु घर से बाहर निकलते समय एस एम एस (S.M.S.) शब्द अवश्य याद रखें, इस एस एम एस शब्द में पहले एस का मतलब 

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सैनिटाइजर, एम का मतलब मास्क साथ रखने एवं तीसरे एस का मतलब सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी के नियमो का पालन करने से है,नगर के नेत्र चिकित्सक एवं समाजसेवी डॉ राजे नेगी का कहना है कि आजकल अक्सर ये देखने में आ रहा है कि जब भी लोग घर से बाहर निकलते है या बाजार में कहीं जाते हैं तो लोगों के चेहरे पर फेस मास्क तो होता है लेकिन वो उसको सही तरीके से पहनते नहीं है अधिकतर लोग फेस मास्क अपने नाक के नीचे मुंह ढकने के लिए तो कुछ लोग मुंह से नीचे चोंठी या गले पर टांगे मास्क लगाए रखते हैं और यह दिखाने का प्रयास करते है कि उन्होंने मास्क पहना हुआ है जोकि नाकाफी है,आज राज्य सरकार की ओर से भले ही मास्क न पहनने पर जुर्माना तय कर दिया हो लेकिन फिर भी आमजन अपनी सुरक्षा के प्रति सजग नही है जो कि अब रोजाना बढ़ते कोरेना सक्रमण को और फैलने में तीव्र गति प्रदान करता नजर आ रहा है, मेरी सभी लोगों से अपील है कि फेस मास्क को चेहरे पर पूरी तरह है नाक के ऊपर तक लगाएं एवं अपनी आंखों पर चश्मा भी पहने या फ़ेससील्ड का इस्तेमाल करें,ताकि इस भयानक हो चुके संक्रमण से अपना एवं अन्य लोगो का बचाव किया जा सके, उसके साथ ही एक बात और ध्यान रखने योग्य है कि कोरोना महामारी से बचाव हेतु अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोना अनिवार्य है इसलिए एलोवेरा या नीम युक्त हेंडवास का ही अधिक इस्तेमाल करें, चूंकि जब हम घर से कहीं बाहर जाते हैं तो हैंड सैनिटाइजर की बोतल साथ रखते है, हैंड सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसान नाम एक केमिकल होता है, जिसे हाथ की स्किन सोख लेती है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से यह केमिकल हमारी त्वचा से हुते हुए स्क्त में मिल जाता हैं। रक्त में मिलने के बाद यह हमारी मांसपेशियों के ऑर्डिनेशन को नुकसान पहुंचाता है।सैनिटाइजर के अधिक इस्तेमाल के कारण हमारी स्कीन यानी त्वचा खुरदरी एवं बेजान हो सकती है एवं बच्चो की इम्युनिटी पावर को भी यह कम कर देता है। इस बात का ध्यान रखें की सैनिटाइजर का इस्तेमाल तभी करें जब हम घर से बाहर किसी व्यक्ति या वस्तु के संपर्क में आए। बार -बार अपने हाथों को अपने चेहरे एवं बालों पर फेरने की आदत से बचे, इससे सर्वाधिक सक्रंमण फैलने का डर रहता है। सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक एवं शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुवे एक बात जो सबसे अधिक ध्यान रखने योग्य है कि हमारे आसपास के जितने भी लोग आज कोरेना महामारी से संक्रमित हैं,या संदेय में है या फिर वो लोग कोरोना की जंग जीत चुके हैं ऐसे लोगों से प्रति हमें किसी भी प्रकार का भेदभाव ना रखते हुए उनके प्रति सम्मान एवं सहानुभूति का भाव रखने की जरूरत है क्योंकि यही वो समय है जब उस पीड़ित व्यक्ति को इस महामारी से जितने हेतु आपके सहारे, सहानभूति, हौसलाअफजाई की आवश्यकता है इसलिए ऐसे में जरूरी है कि हम कोरोना पीड़ित व्यक्तियों के प्रति अपनी संवेदनाएं दिलों में बरकरार रखें उनसे शारीरिक एवं सामाजिक दूरी बनाना आवश्यक है क्योंकि यह हमारी भी सुरक्षा से जुड़ा अहम मुद्दा है लेकिन उनके प्रति दिलों में कोई भी दूरी ना रखें तभी हम उनको इस भयानक बीमारी से उभरने में मदद कर पाएंगे।

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