शिक्षक हो तो सोम प्रकाश जैसा
(कुलदीप सिंह बिष्ट, पौड़ी)
पौड़ी-कहते हैं कि शिक्षक जलते दीप सा, शिक्षा इसका नूर, अंधकार अज्ञान का, करते ज्ञान से दूर।
जी हां जिले के दूरस्थ ब्लॉक के एक स्कूल के शिक्षक पर ये पंक्तियाँ सही चरितार्थ हो रही हैं।
कोरोना संक्रमण के दौर में अगर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है,तो वो है शिक्षण संस्थान। जिसपर इसका इसका सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। कोरोना के कारण इस वर्ष अब तक विद्यालय नहीं खुल पाए हैं ओर न ही फिलहाल इनके खुलने की कोई सम्भावना दिख रही है। जिसके कारण निजी शिक्षण संस्थानों के साथ साथ सरकारी शिक्षण संस्थानों में भी ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया जा रहा है, जिससे बच्चों के पाठ्यक्रम में ज्यादा प्रभाव इसका ना पड़ सके। हालांकि निजी शिक्षण संस्थान बेहतर विकल्पों के साथ ऑनलाइन शिक्षा देने में सक्षम है, मगर कुछ सरकारी संस्थानों के कुछ प्रधानाचार्य कोरोना के शुरुआती दौर से ही निजी स्कूलों की तर्ज पर ऑनलाइन शिक्षा लगातार देते आ रहे हैं, द्वारीखाल ब्लॉक के कांडा खाल लँगूर इंटर कॉलेज के एक ऐसे ही प्रधानाचार्य सोमप्रकाश कंडवाल है जो अप्रैल माह कोरोना के शुरुआती दौर से ही ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम अपनी स्कूल के हाईस्कूल और इंटर के विद्यार्थियों को लगातार शिक्षा देते आ रहे हैं,प्रधानाचार्य बताते है कि उनका मकसद निजी स्कूलों के तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भीऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन शिक्षा को बेहतर गुणवत्ता के साथ बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों तक पहुँचना है। सोमप्रकाश कंडवाल ने बताया कि वह अप्रैल महा से ही लगातार हाईस्कूल और इंटर के विद्यार्थियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा लगातार देते आ रहे हैं जिससे आने वाले समय में बोर्ड परीक्षा में भाग लेने वाले ये छात्र-छात्रायें कहीं से भी पीछे ना रहे। ऐसे कुछ चुनिंदा ही शिक्षक सरकारी संस्थानों में देखने को मिलेंगे। जो तन मन और धन के साथ लगातार आपने पेशे से न्याय कर रहे हैं, सोम प्रकाश कंडवाल बताते हैं कि वे कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर से ही ऑनलाइन शिक्षा देने लगे थे जब निजी शिक्षण संस्थान भी ऑनलाइन शिक्षा देने में कतरा रहे थे उन्होंने बताया कि वे ऑनलाइन तो छात्रों को पढ़ाते हैं इसके बावजूद कुछ छात्र ऐसे हैं, जिनके क्षेत्रों में नेटवर्क की दिक्कत होती है ऐसे छात्रों के लिए वे यूट्यूब के माध्यम से लिंक छोड़ते हैं जिसको आसानी से डाउनलोड करके छात्र आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सके। ऐसे ही कुछ शिक्षक हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण के इस विकट दौर में भी अध्यापक और विद्यार्थी के बीच समन्वय बना रखा है,और जो शिक्षा विभाग के तमाम दावों को धरातल पर उतारने में भी लगातार
काम कर रहे हैं।