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प्रतिकूल प्रस्थियों का सामना करनें से नर से देव बनता है मानव आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं


दुख का अतिरेक सुख सुख का अतिरेक दुख प्रतिकूलताओं से बच कर भाग जाने से हम कभी भी सुखी नहीं रह सकते। इनका सामना करके ही जीवन उच्चता को प्राप्त होता है। मानव से देव और नर से नारायण कैसे बना जाता है यह बात चण्डीगढ ईको सिटी 1 के ग्राउण्ड 5 में पित्र पक्ष में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छटवें दिन प्रसिद्ध कथावाच आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने भक्तो को सम्बोधित करते हुए कही संघर्ष के लिए भगवान् श्रीकृष्ण के जीवन को समझना होगा।
*श्रीकृष्ण के जीवन में भी बड़ी विषमताएं, प्रतिकूल स्थितियाँ आईं पर वो हताश नहीं हुए, दृढ़ता से उनका सामना कर विजय प्राप्त की। उनकी इसी अद्भुत सामर्थ्य ने एक दिन उन्हें परम वन्दनीय बना दिया। जहां जन्म है वही कर्म है जीवन कर्म का ही व्यर्थ पर्याय है जन्म के साथ ही कर्मों का आरंभ होता है तथा मृत्यु के साथ यह समाप्त होते हैं इसलिए जीवन ही कर्म है तथा मृत्यु कर्म का अभाव है मृत्यु के बाद चित पर उनकी स्मृतियां शेष रह जाती हैं जो कई वासनाओं को जन्म देती है यही नए जन्म के कारण है जगत की गति वृताकार है इसका ना कहीं आदि है न अंत सृष्टि निर्माण एवं विध्वंस का कार्य सतत रूप से चल रहा है जहां यह व्रत पूरा हो जाएगा तथा पुनः नई सृष्टि के लिए अवसर उपस्थित हो जाएगा इसी प्रकार कर्म और वासनाओं की गति वृताकार है कर्म से स्मृति और संस्कार बनते हैं तथा इन संस्कारों के कारण वासना उठती है जिससे कर्म होते हैं इस वासना से ही जन्म मृत्यु एवं पुनर्जन्म का चक्र आरंभ होता है वासनाओं का मूल अहंकार है तथा अहंकार के गिरने से वासनाये भी समाप्त हो जाती हैं इन भोगों से अहंकार ही पुष्ट होता है मेरी संपत्ति कुछ यूं है
आदि प्रसङ्गो पर लोग भाव विभोर होगये ।आज पूजन अर्चन मे श्री अभिनदंन शर्मा जी, श्रीमती सीमा शर्मा जी, हेमानी, धान्या, और श्री राजेश सिंगला जी श्री मति अनु सिंगला जी सिरिल सिंगला तथा प्रवीन सिंगला गिता सिःगल अरविन्द ममगांई श्री केवल कृष्ण गोयल श्री मति प्रवीण लता जी श्री रीतेश गोयल श्रीमति रश्मि गोयल कनव गोयल जसिक गोयल और श्री रमाकान्त जुगरान जी श्री दीपक जुगरान जी श्रीमति अंकिता जुगरान जी श्री आशीष जुगरान जी श्रीमति अन्नु जुगरान , अनिरुद्ध, एशनावी, अंश जुगरान और श्री महेंद्र भंडारी श्रीमति कृष्णा देवी श्री राजेश भण्डारी श्रीमती सोनिया भंडारी श्रीमान जितेंद्र भंडारी श्रीमति राधा भंडारी युवराज, अर्जुन, नंदिनी भंडारी और मनीषा दत्ता श्रीमती सरिता डंगवाल श्री सरोप सिंह रावत जी श्री विजय ममगांई जी राकेश रतूड़ी मंजू रतूड़ी आचार्य प्रदीप नौटियाल, आचार्य संदीप बहुगुणा , आचार्य हिमांशु मैठाणी आचार्य अजय मिश्रा अनूप भट्ट जी सुरेश जोशी जी

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