ऐतिहासिक खतलिग महायात्रा को भिलंगना की जनशक्ति ने बनाया दिव्य ओर भव्य

 

ऐतिहासिक खतलिग महायात्रा को भिलंगना की जनशक्ति ने बनाया दिव्य ओर भव्य

वीर सिंह राणा,घनसाली,उत्तराखण्ड  

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देवडोलियो के साथ सैकड़ों श्रद्धालु चले पांचवें धाम खतलिंग के दर्शनार्थ….
2 सितंबर 2021 का दिन यथार्थतः भिलंगना घाटी के लिए अविस्मरणीय और गौरवमय इतिहास का साक्षी बनेगा। जहां सजग मातृशक्ति और ऊर्जावान युवाओं ने बिना राजनेतिक हस्तक्षैप कै स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी द्वारा 80 के दशक में शुरू की गई ऐतिहासिक खतलिंग यात्रा को बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के पुरानी रंगत में लौटा दिया है ।

 

सेकड़ो श्रदालु उसी प्रकार देवडोलियो के साथ शिव के पावन पाचवें धाम खतलिंग के लिए रवाना हुए हैं ।
80 के दशक मैं बडोनी जी ने सामरिक महत्त्व के खतलिंग को पांचवां धाम और उपेक्षित जनजातीय गंगी गांव को विकास की।

 

मुख्यधारा मैं लाने एवं भिलंगना घाटी के चहुमुखी विकास हेतु यह यात्रा शुरु की थी । उस समय भी बडोनी जी के नेतृत्व मैं इस यात्रा मैं देवडोलियो के साथ सैकड़ों लोग शामिल होते थे। बडोनी जी कै निधन के पश्चात यह यात्रा घुत्तू मैं राजनैतिक हवाबाजी ,फूलमाला,
माइक और मंच तक ही सिमट कर रह गई थी …..।

 

1986 तक खतलिंग यात्रा में शामिल घुत्तू स्कूल के विद्यार्थी,भिलंगना घाटी के सपूत आदणिय सुर्याप्रकास सेमवाल जी दिल्ली आने के बाद भी नियमित रूप से यात्रा में आते रहे,जब यात्रा घुत्तू तक सीमित हो गई तो पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से नौवें दशक से ही इस महायात्रा की दुर्गति पर लिखते रहे । हिमालय पुत्र भिलंगना घाटी के सपूत आदणिय सूर्य प्रकास सेमवाल जी के मन में इस महायात्रा को बडोनी जी की कल्पना के अनुसार फिर से जीवन करने का भाव रहा। समय – समय पर पर्वतीय लोकविकास समिति और भिलंगना क्षेत्र विकास समिति के माध्यम से उन्होंने समय समय समय पर घाटी में आकर, खतलिंग मेले पर राज्य और केंद्र सरकारों को पत्र भेजकर,आरटी आई लगाकर , हर एक मंच पर और सोशल मीडिया के माध्यम से युवाशक्ति और माताओं का आह्वान किया । 2016 से खतलिंग यात्रा को हिमालय जागरण अभियान से जोड़कर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को साथ लेकर दिल्ली से यात्रा को पुनः शुरू किया। दिल्ली के गढवाल भवन मैं हिमालय बचाओ गोष्ठी के बाद दिल्ली से देहरादून मुख्यमंत्री के कार्यालय होते भिलंगना घाटी की ओर युवाओं के साथ खतंलिग के लिऐ प्रस्थान किया,युवाशक्ति प्रेरित हुई और इन चार पांच वर्षों में हमारे साथ थोड़ी संख्या में सही लेकिन मातृशक्ति भी आगे बढ़ी। 2016 से हिमालय पुत्र भिलंगना घाटी के हितेषी आदणिय सूर्य प्रकास सेमवाल जी के नेतृत्व मैं कई नोजवान जिसमें सोकिन भण्डारी, भजन रावत, चंद्र कण्डारी, रमेश नैगी, बद्री रोथाण, सूनील पैन्यूली, भगवान रोतैला , जय धनाई, बलदेव राणा, विजय धनाई, सुरजीत चौहान,कमल धनाई, शंकर राणा, कर्ण सिह राणा,शिव सिहं राणा, सूरत सिहं कण्डारी, किशन सिहं राणा, बीर सिह राणा इत्यादि लोगो के साथ- साथ वरिष्ठ पत्रकार श्री व्योमेश जुगराण जी , लेखक हेमचंद सकलानी, सुनील रयाल जी ,राजीवनयन बहुगुणा, सुरेंद्र रावत, तिवारी जी इत्यादि लोगो ने भी इस यात्रा मैं भाग लिया । युवा टोली हर वर्ष खतलिंग गई। 2020 मैं पहली बार 21 सदस्यीय दल जिसमें 75 साल की वृद्ध माता जी भी थी सहश्रताल की यात्रा पूरी की..।
यह एक हिमालय पुत्र का जुनून ही था जो इस खत्म हुई यात्रा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षामंत्री कार्यालय,राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सेना प्रमुख के दफ्तरों से लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्री, मुख्यमंत्रियों और राज्य के पर्यटन मंत्रियों से कई बार पत्राचार करते रहे। कई बार दिल्ली से चला यात्रीदल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी, त्रिवेंद्र रावत जी , कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत से मिला। अनेकों मंत्रियों और सांसदों के द्वार पर खतलिंग,गंगी, पंवाली से हुए भेदभाव पर प्रश्न किए। कई बार खतलिंग को पांचवें धाम के रूप में मान्यता दैने की गुहार हर जगह लगा चुके हैं । दूसरी ओर हतोत्साहित करने वाले भी कम नहीं रहे।खुद कई बार अप्रत्यक्ष महोल मैं भी जब लोगो द्वारा माखोल उड़ाया गया जिसका प्रत्यक्ष गवाह मैं खुद हूं वावजूद इसके सूर्य प्रकाश सेमवाल जी कई बार खतंलिग -सहश्रताल की यात्रा कर युवाओं को जागृत करते रहे ।
पर्यावरणविद पद्मविभूषण स्वर्गीय सुदंरलाल बहुगुणा जी ने एक बार दिल्ली से आ रहे हमारे यात्रीदल को संबोधित करते हुए कहा था यदि इस यात्रा को पुराने स्वरुप मैं लाना चाहते हो और सुंदर किंतु उपेक्षित भिलंगना का विकास चाहते हो,गंगी के लोगों का जीवन सुधारना चाहते हो तो खतलिंग यात्रा को राजनीति से दूर रखो। इसे धार्मिक यात्रा बनाओ,प्रकृति के सम्मान,हिमालय जागरण और पर्यावरण चेतना का अभियान बनाओ तभी बडोनी जी के पांचवें धाम खतलिंग को मान्यता मिलेगी और हिमालय संरक्षित रह पाएगा। इसी सोच,संकल्प और जागरण के प्रयास का प्रतिफल है कि इस बार 2 सितंबर को स्वाभिमान और आत्मविश्वास के साथ सेकड़ो की संख्या में भिलंगना घाटी की मातृशक्ति और युवाशक्ति अपने इष्टदेवों की देवडोलियो को लैकर उस पावन धाम के दर्शन को गएहैं। इसके लिऐ समणगांव के ग्रामवासी,हमारे सहयात्री चंद्र कण्डारी,पूरा कंडारी परिवार, कण्डारगांव के लोग एवं सभी युवा बधाई के पात्र है। भगवान सोमेश्वर, मां रुद्रा, खतलिंग महादेव से सभी यात्रियों की यात्रा मगंलमय हो ओर नकारे जनप्रतिनिधि, विधायक ओर सांसदो को सद्धवुद्धि दै जिन्होंने इस क्षैत्र को विकास से कोसों दूर रखने मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अन्यथा क्या कारण रहा होगा कि ईतने भव्य आयोजन मैं एक भी प्रतिनिधि यात्रियों की हौसलाअफजाई हेतु भी नहीं आए । हां घुत्तू मैं मंच सजता फूलमलाए सजती तो जरुर इनके खास लोग इन्हें जरुर मंच पर वाहवाही करवाने जरूर लाते पर शायद खंतलिग महादेव, मां रुद्रा, शोमेश्वर भगवान , मां भगवती ओर नारायण देवता की यही इच्छा रही होगी की इस पवित्र यात्रा पर ईनका साया न पड़े..।
आज जरुर हिमालय प्रफ्फुलित हो रहा होगा।मां रुद्रा सभी भक्तो को आशीष दैने हेतु प्रतीक्षारत होगी ओर खंतलिग घाटी मैं गुजायमान जयकारे जरुर तिब्बत से होते चीन तक पहुचैगे। हमारे ईष्ट दैवताओ का आशीष जरुर सम्पुर्ण घाटी को मिलेगा जिन्होने इस यात्रा को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया। पुनः समस्त समणगांव के ग्रामवासियों का कण्डारगांव के ग्राम वासियों का चंद्र कण्डारी परिवार का एवं यात्रा पर गये सभी मात्रशक्ति, युवाशक्ति का,एवं आदणिय सूर्य प्रकास सेमवाल जी का हार्दिक आभार एवं धन्यवाद जो आपके अथक प्रयासो से यह यात्रा इस बार भव्य रुप मैं खतंलिग प्रस्थान कर रही है…

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