धाकड धामी की धमक ने धड़कायी धुरंधरों की धमनिया ।
2007 में जब धोनी को टी-20 वर्ल्ड कप का भारतीय टीम का कप्तान बनाया, तो किसी को उम्मीद नहीं थी, कि भारतीय टीम कुछ चमत्कार करेगी । कुछ ऐसा ही माहौल 04 जुलाई 2021 को उत्तराखंड की राजनीति में भी था ?
भाजपा ने अपने पाँच साल के जनादेश के दौरान पुष्कर सिंह धामी को प्रयोग के तौर पर तीसरे मुख्यमंत्री के पद की शपथ दिलायी, चूँकि समय कम था, इसलिए धामी जी को निरन्तर बल्लेबाज़ी करनी थी, और ऐसे में वो अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों के फ़ैसलों को उलटते और पलटते दिखायी दिए, और अपने नाराज़ मंत्रियों को मनाते दिखायी दिए ।
कुल मिलाकर उनका चुनाव पूर्व छ महीने का कार्यकाल कोई उल्लेखनीय नहीं रहा, लेकिन चुनाव में उनके टिकट वितरण की चुनावी कौशल ने मुझे प्रभावित किया । उनका होमवर्क और सर्वे सटीक था, और उसपर उनकी जोखिम उठाने का माद्दा, ने डिफ़ेन्सिव भाजपा को चुनावी संघर्ष में खड़ा कर दिया ।
पूरौला विधानसभा में राजकुमार ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए, लेकिन उन्हें टिकट ना देकर दुर्गेश लाल को टिकट दिया, जिनकी पहली पसंद कांग्रेस से चुनाव लड़ना था । जागेश्वर विधानसभा में गोविन्द सिंह कुंजवाल जी को केवल मोहन सिंह महरा जी ही हरा सकते थे, जबकि पिछले चुनाव में सुभाष पांडेय जी कुंजवाल जी से मात्र 299 वोट से हारे थे । लालकुआं में मोहन सिंह बिष्ट जी निर्दलीय तय्यारी कर रहे थे, क्योंकि भाजपा ने छ साल के लिए निष्कासित किया था, परन्तु उनकी सर्वे रिपोर्ट अच्छी थी, ऐसे ही रानीखेत से प्रमोद नैनवाल भी भाजपा से निष्कासित थे, परन्तु रणनीतिक तौर पर वही मज़बूत भाजपा के प्रत्याशी हो सकते थे ।
ख़ैर, अब पुष्कर धामी जी को उत्तराखंड राज्य के लिए अपनी राजनीतिक कौशल दिखाने की आवश्यकता है ? उत्तराखंड राज्य की दो ज्वलन्त समस्या पर उनको प्राथमिकता के साथ अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजना बनानी पड़ेंगी ।
पहली समस्या है मानव-वन्य संघर्ष और दूसरी है वनाग्नि ।
भू-क़ानून और नौकरियों में धाँधली पर अपना रूख स्पष्ट करना होगा ?
मैं कांग्रेसी हूँ और मज़बूत लोकतंत्र के लिए विपक्ष को भी ताक़त देनी होती है, अंतः मैं उम्मीद करता हूँ कि जनता मेरी भी रक्षा करेगी ।
आपका आनन्द रावत