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कल डांडी कांठी करेगा जागर संरक्षण दिवस का भव्य आयोजन: बहेगी गीत और जागरों की बाहर

उत्तराखंड अपनी अनूठी लोककला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। राज्य की कुछ लोक विधाओं ने तो देश और दुनिया में अपनी खास पहचान भी बना ली है। इसी दिशा में सामाजिक संस्था “डांडी-कांठी क्लब” लगातार लोककला और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देने में जुटी है। मध्य हिमालयी संस्कृति के सरोकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए समर्पित सामाजिक संस्था “डांडी-कांठी क्लब” विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी (जागर, पवाड़े,लोकगीतों एवं लोकवाद्यों को संरक्षित करने के संकल्प के साथ) 17 सिंतबर को “जागर संरक्षण दिवस” मनाने जा रहा है। जिसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से अलग-अलग विधाओं में श्रेष्ठ 11 विभूतियों को “राज्य वाद्य यंत्र सम्मान-2023” और अपने पद क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दे रहे 4 अधिकारियों को “डांड़ी कांठी रत्न-2023” से सम्मानित किया जाएगा।

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डांड़ी कांठी क्लब द्वारा समय-समय पर अपनी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए खेल प्रतियोगितायें, लोक महोत्सव एवम् विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृति को संजोये रखने के लिए कटिबद्ध है। उत्तराखण्ड के प्रकांड ढोल सागर, देवसार, पैंसारा, थाती योग के महान जान गुरूओं का सम्मान सहित छठवीं बार उत्तराखंड की राजधानी द्रोणनगरी में अद्वितीय अनुष्ठान के साथ “जागर संरक्षण दिवस’ मनाया जा रहा है। इसके साथ-साथ विभिन्न देशों में इसी दिन क्लब की पहल पर उक्त “जागर संरक्षण दिवस” मनाया जाता है जिसकी छोटी बडी झलकियां भी इस कार्यक्रम में “इलैक्ट्रानिक मीडिया के डिजिटल माध्यम से दिखाई जायेगी। ताकि “जागर संरक्षण दिवस” का विस्तार विश्व पटल पर और उत्तराखंड एवम् अन्य देशों में जागर संरक्षण एवम् ढोल विद्या पर शोधकर्ता छात्रों को इसका लाभ मिल सके। जागर संरक्षण दिवस 17 सितम्बर 2016 में जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर शुरू किया गया था जो कि इस बार छठवीं बार मनाया जा रहा है। इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष विजय भूषण उनियाल, सचिव कृष्णानंद भट्ट, प्रकाश बडोनी, पार्षद नरेश रावत, प्रीतम सिंह रावत, मंच उद्घघोषक दिनेश शर्मा, डा0 राकेश काला, मीडिया प्रभारी सुदर्शन सिंह कैन्तुरा, ललित मोहन लखेडा़,बस्तीराम सेमवाल,सरोप रावत, अनिल शर्मा, विनोद असवाल सहित क्लब परिवार के कई गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।