दीपक कैंतुरा,रैबार पहाड़ का
जखोली:उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही यहां पलायन बदसूरत जारी है। इस पलायन से लाखों गांव के घर आज खंडर और जमीनें बंजर हो गई हैं। गांव के गांव खाली होने के पीछे कई कारण हैं। इसमें रोजगार, अच्छी शिक्षा व्यवस्था और सड़क जैसी समस्याएं शामिल हैं। पलायन की मार झेल रहा ऐसा ही एक गांव है जनपद रुद्रप्रयाग के जखोली ब्लॉक पर स्थित टिहरी और रुद्रप्रयाग की सीमा से जुड़ता लुठियाग गांव। लुठियाग गांव कई वर्षों से लगातार पलायन का दंश झेल रहा है। कुछ वर्षों से लोग लुठियाग को छोड़कर चिरबटिया खल्वा में बसने लगे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण हैं यहां सड़क का निर्माण न होना। एक सड़क के निर्माण न होने से एक सुंदर गांव खंडर में तब्दील हो गया है। गांव की ऐसी स्थिति पर चिंतित युवाओं ने लुठियाग में लगातार हो रहे पलायन की हकीकत को एक शॉर्ट फिल्मके जरिए दिखाने की कोशिश की है। इस शोर्ट फिल्म में गांवों से हो रहे पलायन का दर्द दर्शाया गया है।
लुठियाग के युवा ब्लॉगर अजीत कैन्तुरा और कहांनी के लेखक कुलदेव कैंतुरा के अथक प्रयासों से इस फिल्म का निर्माण सीमीत संसाधनों द्वारा किया गया। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि गांव के लोग कितने संघर्ष और सुख-सुविधाओं के अभाव में जिंदगी जीते थे। गांव नें लोग खेती और ध्याड़ी मजदूरी करके अपना गुजर-बसर करते हैं। फिल्म में गांव की संस्कृति, परंपरा, रीतीरिवाजों और संस्कृति को भी बखूबी दर्शाया गया है। खासबात यह है कि फिल्म में गांव की गरीबी को दर्शाया गया। फिल्म में एक दृश्य है जिसमें एक ध्याड़ी-मजदूरी करने वाला गरीब पिता अपने बेटे भूतड़ू को पढ़ाने की बजाए बचपन में ही होटल में नौकरी के लिए भेज देता। जिसके बाद कई दिनों तक बेटे की हाल-खबर न मिलने पर बुढ़े मां-बाप रात-दिन बेटे को याद कर रोते रहते हैं।
इस शोर्ट फिल्म में अजीत कैन्तुरा द्वारा लुठियाग के खान-पान और रहन-सहन को लेकर एक झूमैला तैयार किया गया है, जो वाकई काबिले तारीफ है। फिल्म में काम करने वाले हर पात्र ने इतना सुंदर अभिनय किया है जिसकी तारीफ जीतनी की जाए उतनी ही कम है। फिल्म में उत्तम सिंह मेहरा द्वारा हांस्य किरदार निभाते हुए फिल्म को मजेदार बनाया गया है। कम संसाधनों में बनी यह फिल्म दर्शकों को बहुत पसंद आ रही है और मात्र सात घंटे में 1,600 से अधिक लोग इसे यूट्यूब पर देख चूके हैं। आप भी जरुर इस फिल्म को देखें और अधिक से अधिक शेयर करें।
- कहानी लेखक- कुलदेव सिंह कैंतुरा, अजीत सिंह कैंतुरा
- निर्माता- अजीत सिंह कैंतुरा
- निर्देशक- कुलदेव सिंह कैंतुरा, श्री उत्तम सिंह मेहरा
- कैमरा- अजीत सिंह कैंतुरा, जगदीप सिंह मेहरा
- पुरूष कलाकार- कुलदेव सिंह कैंतुरा, उत्तम सिंह मेहरा, पदम सिंह मेहरा, प्रीतम सिंह कैंतुरा, महावीर सिंह कैंतुरा, अजीत सिंह कैंतुरा, जगदीप सिंह मेहरा, अरविंद सिंह मेहरा, राजदीप सिंह कैंतुरा
- महिला कलाकार- कुमारी किरन कैंतुरा, कुमारी कृष्णा मेहरा, कुमारी कंचन मेहरा, कुमारी सोनम कैंतुरा, कुमारी शशि मेहरा, कुमारी पार्वती कैंतुरा
- कहानी पात्र
- बुढया (बैशाखू)- उत्तम सिंह मेहरा जी
- बुढिया-कुमारी किरन कैंतुरा
- भुतड़ू- (बचपन) कुमारी सोनम कैंतुरा, (जवान) जगदीप मेहरा, राजदीप कैंतुरा
- घट का मालिक- जगदीप मेहरा
- डाकिया- जगदीप मेहरा
- जांदरा(हाथ की चक्की)मालिक- श्री कुलदेव कैंतुरा
- बुढ़िया के साथ अन्य मुख्य कलाकार- कुमारी कृष्णा मेहरा, कंचन मेहरा,सोनम कैंतुरा, शशि मेहरा,पार्वती कैंतुरा
- बुढ़िया के साथ अन्य कलाकार- श्री प्रीतम सिंह कैंतुरा, श्री महावीर सिंह कैंतुरा, श्री पदम सिंह मेहरा,अजीत सिंह कैंतुरा,अरविंद सिंह मेहरा , राजदीप कैंतुरा
- झुमैला
- झुमैला लेखक- अजीत सिंह कैंतुरा
- झुमैला महिला कलाकार- कुमारी किरन कैंतुरा,कुमारी कृष्णा मेहरा, कंचन मेहरा,सोनम कैंतुरा, शशि मेहरा,पार्वती कैंतुरा
- झुमैला पुरूष कलाकार- कुलदेव सिंह कैंतुरा , उत्तम सिंह मेहरा, प्रीतम सिंह कैंतुरा, महावीर सिंह कैंतुरा, पदम सिंह मेहरा,अजीत सिंह कैंतुरा
- झुमैला गायन- उपरोक्त सभी कलाकार
- स्थान
- १- ग्राम सभा लुठियाग
- २- चिरबटिया, तिलेधार, डांडा
- ३- दुग्गडा