*भगवान कृष्ण की चरम परम वाणी सुंदर तम का सन्देश है भागवत विशाल भंडारे के साथ भागवत कथा का समापन आचार्य ममगांई*
भागवत एसा ग्रंथ जो मानव मात्र को अपनी पहचान करवाता है जो भगवान कृष्ण की परम चरम वाणी एवं सुंदरता का सन्देश है परमात्मा के अनुसंधान में किया गया कार्य भक्ति है यह बात कोटद्वार पदमपुर सुखरो मे जी डी मोटल वेडिंग पॉइंट मे बलूनी वन्धुओं के द्वाराआयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के समापन दिवस पर बद्रिकाश्रम ज्योतिष्पीठ व्यास पदाल॔कृत प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें व्यक्त करते हुए कहा कि
किसी भी वस्तु अथवा पदार्थ के उपयोग में विवेक की अहम भूमिका होती है।
विष की अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है और दवा की अत्यधिक मात्रा भी विष बन जाती है।
विवेक से, संयम से जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है।
पदार्थों में समस्या नहीं है, हमारे उपयोग करने में समस्या है।
संसार का विरोध करके कोई इससे मुक्त नहीं हुआ।
बोध से ही इससे ज्ञानीजनों ने पार पाया है।
आचार्य ममगांई कहते हैं
संसार को छोड़ना नहीं, बस समझना है। परमात्मा ने पेड़-पौधे, फल-फूल, नदी – वन, पर्वत – झरने और ना जाने क्या- क्या हमारे लिए बनाया है।
अस्तित्व में निरर्थक कुछ भी नहीं है। यहाँ प्रत्येक वस्तु का अपना महत्व है बस कब, कैसे, कहाँ, क्यों और किस निमित्त उसका उपयोग करना है इतना विवेक जागृत हो जाए।
विवेकपूर्वक भोग करना ही संसार के अनेक रोगों से बच जाना भी है। आज् आयोजको के द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जहा पर भक्त जनो ने श्रद्धा के साथ कृष्ण भोग को प्राप्त किया ।।
इस अवसर पर विशेष रूप से प्रदीप बलूनी अनुपम बलूनी अनिल बलूनी धर्मनंद बलूनी राजेश बलूनी कुलदीप बलूनी हरिश बलूनी सुरेश बलूनी उज्वल बलूनी वीरेंद्र खांतवाल आकाश रमेश चंद्र जख्वाल सुशीला बलूनी सरिता बलूनी अभिलाषा शशि आस्था सिखा जख्वाल सुशीला जख्वाल आचार्य सुधीर दूधपुड़ी आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य हिमांशु मैथानी आचार्य सूरज पाठक अनिल चमोली मनीलाल अग्रवाल आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित थे।।