उत्तराखंड के चौथे और भारत के चारधामों में से एक बदरीनाथ धाम के कपाट आज 12 मई को सुबह 6 बजे विधि-विधान से खोल दिए गए हैं। मांगलिक स्वर लहरियों, सेना के बैंड की धुन, और भगवान बदरी विशाल के जयकारों के बीच मंदिर के कपाट खोले गए। अब अगले 6 महीने तक भक्त बदरीनाथ धाम में भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर सकेंगे। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के समय हजारों श्रद्धालु इस पावन पल के साक्षी बने। कपाट खुलते ही धाम में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की अवसर पर बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने नाचते गाते हुए भगवान का स्वागत किया। वहीं, सीएम धामी ने भी तीर्थयात्रियों को धाम के कपाट खुलने की शुभकामनाएं दी।
पावन पल के साक्षी बने हजारों श्रद्धालु
वि.ओ2- आपको बता दें कि हल्की बारिश के बीच आर्मी बैंड और ढोल नगाड़ों की मधुर धुन और स्थानीय महिलाओं के पारंपरिक संगीत और नृत्य के साथ भगवान बदरी विशाल की स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के साथ कुबेर जी, उद्धव जी और गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से मंदिर में परिसर में लाया गया। इसके बाद मंदिर के मुख्य पुजारी रावल समेत धर्माधिकारी, हक हकूकधारी और बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने प्रशासन और हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में विधि विधान के साथ मंदिर के कपाट सुबह 6:00 बजे ब्रह्म मुहूर्त में खोले। कपाट खुलने के शुभ मुहूर्त पर भगवान बदरी विशाल के दर्शनों के लिए हजारों लोग धाम पहुंचे। इस दौरान मंदिर को 15 टन से अधिक फूलों से सजाया गया है।
सेना की बैंड धुन के साथ पहुंचती हैं देव डोलियों
गौरतलब हो कि बीते रोज शनिवार को सेना की बैंड धुन के साथ देव डोलियों को बदरीनाथ लाया गया था। रावल ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी, ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, धर्माधिकारी, संत महात्मा और हजारों श्रद्धालु योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर से भगवान उद्धव और कुबेर मंदिर से भगवान कुबेर के विग्रह डोली और जोशीमठ से आदिगुरुगु शंकराचार्य की गद्दी के साथ बदरीनाथ पहुंचे। डोलियों के यहां पहुंचते ही पूरा धाम क्षेत्र बदरी विशाल के जयकारों से गूंज उठा। स्थानीय प्रशासन की ओर से यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं बनाई गई है। साथ ही भगवान बदरीनाथ के दर्शन के साथ ही यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता के इंतजाम किए गए हैं। वहीं गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का पूरी तरह से आगाज हो गया है।
भगवान बदरीनारायण के 5 स्वरूपों की होती है पूजा
बदरीधाम धाम में भगवान बदरीनारायण के 5 स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है। भगवान विष्णु के इन पांचों रूपों को ‘पंच बद्री’ के नाम से भी जाना जाता है। बदरीनाथ धाम में मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार बद्रियों के मंदिर भी यहां मौजूद हैं, लेकिन इन पांचों में से बदरीनाथ मुख्य मंदिर हैं। इसके अलावा योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्घ बद्री, आदिबद्री इन सभी रूपों में भगवान बदरी विशाल यानी विष्णु निवास करते हैं।
सृष्टि का आठवां बैकुंठ धाम है ‘बद्रीनाथ’
मान्यताओं के अनुसार इस सृष्टि के आठवें बैकुंठ धाम को बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है और 12 महीने यहीं भगवान विष्णु विराजमान होते हैं। भगवान विष्णु यहां 6 महीने विश्राम करते हैं और 6 महीने भक्तों को दर्शन देते हैं। वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि साल के 6 महीने मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो बाकी के 6 महीने यहां देवता भगवान विष्णु की पूजा करते हैं जिसमें मुख्य पुजारी खुद देवर्षि नारद होते हैं।