देहरादून।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि लोक विरासत जैसे आयोजन राज्य की संस्कृति को एक मंच पर साकार कर देते हैं। राज्य की संस्कृति पर हमें गर्व है। हमारी सरकार राज्य के सांस्कृतिक विकास के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है। देवभूमि के स्वरुप को किसी भी हाल में बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।
हरिद्वार बाईपास सोशियल बलूनी पब्लिक स्कूल में आयोजित उत्तराखंड लोक विरासत के समापन पर सीएम ने कहा कि हाल के समय में लोगों ने डबल इंजन सरकार का फायदा देखा है। हमने पर्यटकों के लिए अच्छी सुविधाएं जुटाई हैं। इन्वेस्टर समिट के लिए लाखों करोड रुपये के निवेश आए हैं। दून मे सड़कों पर सौंदर्यकरण चल रहा है। तीन राज्यों के चुनाव परिणामों पर खुशी जताते हुए कहा कि जनमत ने ये बता दिया है कि 2024 में एक बार फिर मोदी सरकार प्रचंड बहुमत से आएगी। आयोजक मंडल के संस्थापक चार धाम अस्पताल के निदेशक डॉ.केपी जोशी ने कहा कि आयोजन का उद्देश्य पहाड़ के उपेक्षित लोककलाकारों, हस्तशिल्प कारीगरों को मंच प्रदान करना है। उन्होने सरकार से ऐसे आयोजन में मदद की अपेक्षा की। लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने बेडु पाको बारामासा.. की प्रस्तुति दी। अनुराधा निराला ने मुल मुल कैकु हैसिंणी छै तू..,संगीता ढौंडियाल ने ढोल दमौं बजि गैनि..,तेरी खुट्यूं मां लगिन कुतगली..,,ललित गित्यार ब्वारि चाहा बणै दे..,अंजलि खरे ने झन दिया बौज्यूं छाना बिलौरी..,गीत गाए। संचालन गणेश खुगशाल गणी, अजय जोशी ने किया।
उत्तराखंड लोक विरासत अंतिम दिन रविवार को भी धूमधाम से हुआ। पहाड़ के दिग्गज लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, किशन महिपाल, ओम बधानी, प्रह्लाद मेहरा, रजनीकांत सेमवाल, अंजली खरे समेत अनेक लोकगायकों ने फिर से शानदार प्रस्तुति देकर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। इस दौरान शाम को पहाड़ी वेषभूषा में फैशन शो हुआ। जिसमें लारा लत्ता-गैंणा पत्ता ने नीति माणा से लेकर धारचुला पिथौरागढ़ की संस्कृति को सामने रखा।
हरिद्वार बाईपास स्थित सोशियल बलूनी स्कूल में सांस्कृतिक विरासत के अंतिम दिन पहाड़ के दूरस्थ इलाकों की संस्कृति व लोक संगीत को कलाकारों ने उत्साह के साथ पेश किया। इस दौरान दिग्गज लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, आयोजक मंडल के संस्थापक चार धाम अस्पताल के निदेशक डॉ.केपी जोशी की अगुवाई में अनुभवी व युवा लोककलाकारों ने अपने संगीत के सुर बिखेकर दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया। वहीं इससे पूर्व स्कूल परिसर में दिन भर सांस्कृतिक उत्सव का उल्लास छाया रहा। इससे पहले आयोजक डॉ.केपी जोशी ने कहा कि पिछले तीन साल से उत्तराखंड लोक विरासत का आयोजन देहरादून में हो रहा है। ये आयोजन राज्य की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। इस आयोजन को करने के पीछे यही मकसद है कि पहाड़़ों की हस्तशिल्प और हुनर को उचित प्लेटफार्म दिया जा सके। इस दौरान राजू गुसांई, बीना बेंजवाल, गणेश खुगशाल गणी, माधव जोशी, राकेश डंगवाल, दौलत राम सेमवाल, स्वप्रिल जोशी, कविलास नेगी, सोहन चौहान, अब्बू रावत, रमन शैली आदि मौजूद रहे।
पहाड़ी वेशभूषा का फैशन शो ने खींचा ध्यान
उत्तराखंड के परम्परागत वस्त्र-आभूषणों के प्रदर्शन के साथ उनका परिचय रोचक व ज्ञानवर्द्धक रहा। नई पीढ़ी को इस बहाने अपनी कला संस्कृति की बारीक समझ विकसित होने में इससे मदद मिलेगी। संस्कृति विशेषज्ञ लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, उनकी पत्नी उषा नेगी, डॉ.नंद किशोर हटवाल व रमाकांत बेंजवाल की अगुवाई में पहाड़ी वस्त्रों का फैशन शो लारा लत्ता, गैंणा पत्ता ने कार्यक्रम का आकर्षण कई गुना बढ़ा दिया। मंच पर पौड़ी जिला के चौंदकोट-गंगा सलाण, तल्ला सलाण के परिधान के साथ अंजली नेगी, शैलेन्द्र पटवाल, उत्तरकाशी के भटवाड़ी, भागीरथी, गंगोत्री घाटी के टकनौरी परिधान में सुरक्षा रावत, वंदना सुंद्रियाल, चमोली के भोटिया परिधान में किशन महिपाल, भरत सिंह, कुमाऊंनी दानपुरा के परिधान में सोहन चौहान, नीलम तोमर थापा, पिथौरागढ़, धारचुला, दारमा, व्यास, चौंदास की रं जनजाति परिधान में सुबोध कुटियाल, रंजू रौतेला, जौनसारी परिधान व आभूषणों का प्रदर्शन रितिक, शिवांगी, सुरेन्द्र आर्यन ने किया।
वाद्ययंत्रों और लोकनृत्यों ने लोगों का किया मनोरंजन
पहाड़ के लोकनृत्य, वाद्ययंत्र के अलावा भूले बिसरे गीत का प्रदर्शन कार्यक्रम में दिन भर हुआ। जिसमें महेश राम जागरिया और साथियों ने छोलिया, भगनौल, न्यौली, छपेली और गंगनाथ जागर की प्रस्तुति देकर लोगों का दिल जीत लिया। वहीं अर्चना सती ने बद्रीनाथ का जागर, खुदेड़ गीत गाया। वर्षा और ऊषा देवी ने पारम्परिक ढोल वादन, माता व भेरु जागर की प्रस्तूति दी। प्रेम हिंदवाल व ग्रुप ने भोटिया जनजाति नृत्य, पौंणा, बगड़वाल, मुखौटा नृत्य की प्रस्तूति दी।
पहाड़ी उत्पादों के स्टॉल में रही भीड़
पहाड़ी उत्पादों के साथ ही पहाड़ी फूड कार्नर के स्टॉल पर लोगों की भीड़ दिन भर भीड़ रही। पहाड़ी दालों में मसूर, लोबिया, सोयाबीन और राजमा लोगों ने खरीदी। वहीं कार्यक्रम के अंतिम दिन पहाड़ी टोपी और गर्म कपड़े लोगों ने जमकर खरीदे।