यह टिहरी जिले में स्थित सर्वश्रेष्ठ ट्रेक में एक है | यहाँ गढ़वाल हिमालय के उच्च ऊंचाई वाले घास के मैदान (बुग्याल) हैं, जिनमे विभिन्न प्रकार के आकर्षक फूल, जड़ी बूटी बहुतायत में पाई जाती हैं | अप्रैल और मई क एमहिनिए में यह स्थान लाल और गुलाबी रोड़ोडेन्ड्रोस (हीथर परिवार की झाड़ी या छोटे पौधे जो घंटी के आकार के फूलों के गुच्छो को और आमतौर पर बड़ी पत्तियों को साथ लिए होते हैं ) से सदाबहार रहता है |
यहाँ से हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शनों के साथ-साथ यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ-बदरीनाथ पर्वत शिखरों के दर्शन भी होते हैं | हिमपात के समय बर्फ से ढकी थलय सागर, मेरु, कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि पहाड़ियों के मनोरम दृश्य को यहाँ से देखा जा सकता है | पर्यटकों के बीच पंवाली काँठा से सूर्यास्त देखने का एक विशेष आकर्षण रहता है|
यह ट्रेक गंगोत्री से केदारनाथ के प्राचीन धार्मिक मार्ग पर पड़ता है | ट्रेकर्स यहाँ बसे दूरस्थ गाँवों से गुजरते हैं जहाँ वे वास्तविक गढ़वाल के जीवन को देख पाते हैं | ट्रेक में जगह-जगह चरवाहे दिखाई देते हैं जो शिवालिक रेंज और हिमालय के बीच निवास करते हैं|
बारिश और साफ़ आसमान को देखते हुए शरद ऋतु पंवाली काँठा ट्रेक पर जाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय है | इस समय हिमालय पर्वत और रंगीन जंगली फूलों से सजे हरे घास के बुग्याल जीवंत नजर आते हैं |
यह ट्रेक घुत्तु नामक स्थान से प्रारम्भ करके सोनप्रयाग / त्रियुगी नारायण तक पूरा किया जाता है | त्रियुगी नारायण में स्थित शिव मंदिर का हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है | ऐसा माना जाता हैं कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु की उपस्थिति में शिव पार्वती का विवाह हुआ था|
इस ट्रेक को घुत्तु से आगे उत्तरकाशी के लाटा नामक स्थान तक जाने हेतु भी प्रयोग किया जाता है | प्राकृतिक परिदृश्यों एवं अपेक्षाकृत कम ऊंचाई होने के कारण यह एक सुखद ट्रेक साबित होता है| उत्तरी गढ़वाल हिमालय में स्थित पंवाली काँठा के घास के मैदान कई जंगली जानवरों का घर है | भाग्य साथ दे तो आप यहाँ भरल (नीली भेड़) घोर, हिमालयी भालू, दुर्लभ कस्तूरी मृग आदि को देख सकते हैं !!
साथ ही क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य सीता रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार एवं पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज जी ,पंवाली कांठा माटिया बुगियाल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों के साथ पर्यटन सर्किट से विकसित करने के लिए आंगडन तेयार कर रहे हैं यह ऐतिहासिक फेसला आने वाले समय में इस क्षेत्र के युवाओं के लिए ही नहीं बल्कि प्रदेश के पर्यटन भविष्य के लिए कारगर सिद्ध होगा !!
पूर्व में हुयी खतलिंग महायात्रा में बतोर मुख्यातिथि के रुप में शामिल हुए पर्यटन मंत्री पुजय संत सतपाल महाराज जी ने आश्वस्त किया था की पंवाली कांठा को पर्यटन से जोड़ने के लिए जो भी उपयोगी कदम होंगे वह अवश्य उठाये जायेंगे ,
महत्वपूर्ण कार्य करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे पर्यटन विभाग एवं विभिन्न सायोगी विभागों का में अपने क्षेत्र की ओर से धन्यवाद साधुवाद करती हों !!