देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार के लिए वर्ष 2023 कई मायनों में ख़ास रहा। धामी सरकार के ताबड़तोड़ फ़ैसले सालभर चर्चाओं में रहे जिससे सीएम धामी की राज्य ही नहीं पूरे देश में धाकड़ धामी वाली इमेज बन गई। यूसीसी, धर्मांतरण कानून, महिला आरक्षण, राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण, नकल विरोधी कानून, अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर कार्रवाई, विधानसभा में बैकडोर भर्ती की जांच कराकर सीएम धामी ने सख्त कदम उठाए। इसके साथ ही मिशन सिल्क्यारा और इन्वेस्टर्स समिट ने सीएम धामी को देश ही नहीं दुनियाभर में सुर्ख़ियों में रखा।
सिल्क्यारा सफल रेस्क्यू अभियान
उत्तरकाशी जनपद के सिल्क्यारा सुरंग में फँसे 41 श्रमिकों का मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में सफल रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस सूझबूझ का परिचय दिया, उसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। खासकर देश ही नहीं दुनिया में अलग तरह की इस आपदा में मुसीबत में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की सफलता ने मुख्यमंत्री धामी की कार्य कुशलता पर फिर से मुहर लगा दी है।
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का सफल आयोजन
“उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट” 2023 राज्य में भारी निवेश जुटाने में कामयाब रहा। धामी सरकार की नीतियों और लुभावने प्रस्तावों से निवेशकों में उत्साह देखा गया और उन्होंने लगे हाथ 3.5 लाख करोड़ रुपए के निवेश करार सरकार के साथ किए। उत्तराखण्ड के लिए बड़ी उपलब्धि यह रही कि 3.5 लाख करोड़ रुपए के करार में से 44 हजार करोड़ के करार की ग्राउण्डिंग भी शुरू हो चुकी है। यह आंकड़ा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तराखण्ड का सालाना बजट 60 हजार करोड़ का है। इस लिहाज से एक साथ 44 हजार करोड़ के निवेश को धरातल पर उतारने की शुरूआत होना एक बड़ी उपलब्धि है।
पारदर्शिता के लिये समूह ‘ग’ की सभी परीक्षाओं में साक्षात्कार की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगी।
ड्रग्स फ्री देवभूमि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन-2025 का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इस वर्ष अभी तक एनडीपीएस एक्ट के तहत करीब 600 मुकदमे पंजीकृत हो चुके हैं, जिनमें करीब साढ़े सात सौ आरोपित सलाखों के पीछे भेजे जा चुके हैं।
धर्मांतरण विरोधी कानून उत्तराखंड में उत्तरप्रदेश से भी सख्त है। प्रदेश में जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने या करने पर अब 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। राज्यपाल ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी है। उत्तराखंड में 2018 में यह कानून बनाया गया था। उसमें जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण पर एक से पांच साल की सजा का प्रावधान था।