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उत्तरकाशी में दीदी भूली महोत्सव में दिखा सीएम धामी का जुदा अंदाज सीएम ने कूटा धान , रोड़ शो में उमड़ा हजारों का सैलाब, उत्तरकाशी को दी धामी ने करोड़ों की सौगात

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज उत्तरकाशी दौरे पर रहे। जहां उन्होंने रोड शो कर दीदी भुली महोत्सव में हिस्सा लिया। सीएम धामी ने उत्तरकाशी जिले के लिए 57.38 करोड़ रुपए की 24 योजनाओं का शिलान्यास और 45.37 करोड़ रुपए की 38 योजनाओं का उद्घाटन किया। इस दौरान सीएम धामी ने स्थानीय उत्पादों के स्टॉलों का निरीक्षण किया और पारंपरिक ओखली में लाल चावल को भी कूटा। सीएम धामी ने कहा कि यह योजनाएं उत्तरकाशी जिले के विकास में एक मील का पत्थर साबित होंगी।

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सोमवार सुबह सीएम धामी ने रोड शो किया। पेट्रोल पंप से शुरू हुए रोड शो में सीएम के स्वागत के लिए बस अड्डे पर सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने रामलीला मैदान में बद्री गाय की पूजा अर्चना कर विकसित भारत विकसित ग्राम प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, इसके बाद प्रदर्शनी स्टॉलों का निरीक्षण करने के साथ ही विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद भी किया। उन्होंने विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को अनुदान और सहायता राशि के चेक भी वितरित किए। सीएम धामी ने 240 करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया। इसके अलावा सीएम धामी ने यूजेवीएन लिमिटेड के तिलोथ विद्युत गृह के नवीनीकरण, उच्चीकरण और पुनरुद्धार (आरएमयू) कार्यों का लोकार्पण भी किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तरकाशी की पुण्य भूमि को जहां भगवान विश्वनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है तो वहीं इस महान भूमि में गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे पवित्र धाम मौजूद हैं। जिससे उत्तरकाशी जिले का आध्यात्मिक महत्व है। उत्तरकाशी की मातृशक्ति स्वरोजगार के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रही हैं। थत्यूड़ जैसा ग्रोथ सेंटर महिला सशक्तिकरण का आदर्श उदाहरण हैं, इस सेंटर से जुड़कर क्षेत्र की कई महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन चुकी हैं।

सीएम धामी ने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में तो उत्तरकाशी जिला अग्रणी जिलों में से एक है, जहां दुग्ध उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। एक जिला एक उत्पाद अवार्ड में देशभर के जिलों के बीच कृषि श्रेणी में उत्तरकाशी के लाल चावल को दूसरा स्थान मिला है। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक गिंज्याली से स्थान उलख्यारे (ओखली) में लाल धान की कुटाई की। साथ ही स्थानीय महिलाओं के साथ चरखे के माध्यम से ऊन की कताई भी की।