देहरादून। भाजपा ने कांग्रेस नेत्री प्रियंका वाड्रा को देवभूमि आगमन से पूर्व उनकी पार्टी द्वारा महिलाओं के साथ किए अन्याय पर जवाब लेकर आने की चुनौती दी है । क्योंकि राज्य की मातृ शक्ति जानना चाहती है कि क्यों लगातार उनके नेताओं द्वारा महिलाओं के अपमान पर, एक लड़की होकर भी वे लड़ नहीं सकती है? क्यों उनकी जुबान इस अन्याय पर नही खुलती है और क्यों कभी पीएम से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक महिला होने के बावजूद आरक्षण का अधिकार नही दिया गया, सही मायानो मे देखा जाए तो वाड्रा सिर्फ एक योगदान ही गिनवा दे जो ने उत्तराखंड के लिए करा हो, उनका आगमन सिर्फ चुनाव के समय ही हो पाता है, उत्तराखंड कोंग्रेसीयों को उनके दर्शन मात्र ही हो जाए तो बड़ी वात होंगी
प्रियंका वाड्रा के दौरे को लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए प्रदेश प्रवक्ता हनी पाठक ने कहा कि एक राजनीतिक पार्टी का नेता होने के नाते वह यहां आए इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। लेकिन मातृशक्ति की सामर्थ्य का प्रतीक देवभूमि उनसे कुछ जरूरी सवालों का जवाब अवश्य जानना चाहेगी । कल तक लड़की हूं लड़ सकती हूं, का नारा देने वाली प्रियंका वाड्रा की जुबान अपने नेत्रियों एवं वरिष्ठ नेताओं द्वारा महिला अपमान पर क्यों नहीं खुलती है । हमारी माताएं बहिनें भी जानना चाहती है कि वह अपनी पार्टी में जारी अन्याय के खिलाफ वे एक लड़की होने के नाते क्यों नहीं लड़ सकती हैं। ताजा प्रकरणों की ही बात करें तो उनके वरिष्ठ नेता सुरजेवाला ने मथुरा से हमारी महिला प्रत्याशी पर अश्लील टिप्पणी की, लेकिन कोई कार्यवाही उन पर नहीं की जाती है। अफसोस कुछ दिन पहले हमारी मंडी से लोकसभा प्रत्याशी के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करने वाली वरिष्ठ प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत पर वे एक शब्द नही बोलती हैं । इतना ही नहीं अपनी इस नेत्री पर कार्यवाही करने के बजाय, देवभूमि में न्यायपत्र के साथ भेजकर उसे सम्मानित करने का काम किया ।
उन्होंने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, कांग्रेस और उनकी शीर्ष नेता, महिला होकर भी महिला का अपमान भूल सकती है लेकिन मातृ शक्ति बहुल देवभूमि के लोग इस अपमान को कभी नही भूल सकते हैं ।
साथ ही संसद और विधानसभा में महिला आरक्षण को लेकर भी प्रियंका को जवाब देना चाहिए, कि तीन-तीन बार महिला प्रधानमंत्री एवं 23 वर्ष तक महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद कांग्रेस ने कभी मातृशक्ति को जनप्रतिनिधित्व में अपना अधिकार नहीं दिया। क्यों तीन तलाक का विरोध कर एक बड़े समुदाय में महिलाओं के साथ अपराध को होने दिया, क्यों एक यतीम मजलूम अल्पसंख्यक बहिन शाहबानो को चंद रुपए मुआवजा न देना पड़े, संसद से उसके खिलाफ कानून लेकर आए। कभी भी अपनी राजस्थान, बंगाल, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ एवं अन्य अपनी या अपनी सहयोगियों की सरकारों में हुए महिला अत्याचार उन्हे नजर नहीं आए ।
हनी पाठक ने कटाक्ष किया, जब तक आप इन सवालों का जवाब नही देते तब तक देवभूमि की देवतुल्य आपकी खोखली बातों पर विश्वास नहीं करने वाली है। उन्हे अपनी पार्टी के न्याय पत्र से पहले उनके नेताओं द्वारा महिलाओं से किए अन्याय पर माफी पत्र जारी करना चाहिए ।