सुभारती ट्रस्ट के ट्रस्टी की शिकायत पर मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ वर्ष 2012 में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने ट्रस्ट को 100 बीघा जमीन बेचने का अनुबंध किया था, लेकिन मौके पर जमीन केवल 33 बीघा ही पाई गई।
सुभारती ट्रस्ट से धोखाधड़ी के मामले में आरोपी मनीष वर्मा, पत्नी नीतू वर्मा और भाई संजीव वर्मा को पांच-पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही सभी को पांच-पांच हजार का जुर्माना भी भरना होगा। सोमवार को एसीजेएम चतुर्थ अभिषेक श्रीवास्तव की कोर्ट ने सुनवाई के बाद सजा सुनाई। बता दें कि मनीष वर्मा कांग्रेस सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
सुभारती ट्रस्ट के ट्रस्टी की शिकायत पर मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ वर्ष 2012 में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने ट्रस्ट को 100 बीघा जमीन बेचने का अनुबंध किया था, लेकिन मौके पर जमीन केवल 33 बीघा ही पाई गई। ऐसे में उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने करीब 67 बीघा जमीन के कागजात फर्जी दर्शाए थे।
2014 में इस मामले में आरोपपत्र भी दाखिल किया गया था। इस बीच वादी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुकदमे के जल्द विचारण की अपील की थी। आरोप है कि इस सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष यानी वर्मा परिवार कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ था। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिए थे कि अभियोजन वर्मा व उनकी पत्नी और भाई की जमानत निरस्तीकरण का प्रार्थनापत्र कोर्ट में प्रस्तुत करें। इन आदेशों के क्रम में ही एसीजेएम तृतीय की कोर्ट ने 16 अगस्त को आदेश पारित किए थे।