राजधानी दून में मेट्रो नियो का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है। अगर सब सही रहा तो अगले एक साल में मेट्रो नियो का काम धरातल पर दिखाई देने लगेगा। वहीं करीब तीन साल के भीतर राजधानी के दो रूटों पर मेट्रो नियो दौड़ने लगेगी।
साल 2017 में राजधानी में मेट्रो चलाने का प्रस्ताव पास किया गया था, लेकिन मेट्रो के संचालन में आने वाले खामियों के कारण 2019 में मेट्रो के बजाय नियो मेट्रो को मंजूरी मिली थी। मेट्रो नियो सिस्टम रेल गाइडेड सिस्टम है, जिसमें रबड़ के टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच होते हैं, इसके कोच स्टील या एल्युमीनियम के बने होते हैं। इसमें इतना पावर बैकअप होता है कि बिजली जाने पर भी 20 किलोमीटर तक चल सकती है। सामान्य सड़क के किनारों पर फेसिंग करके या दीवार बनाकर इसका ट्रैक तैयार किया जा सकेगा। इसमें ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम होगा, जिसमें स्पीड लिमिट भी नियंत्रण में रहेगी। इसमें टिकट का सिस्टम क्यूआर कोड या सामान्य मोबिलिटी कार्ड से होगा। इसकी ट्रैक की चौड़ाई 8 मीटर होगी और जहां रुकेगी वहां करीब 1.1 मीटर का साइड प्लेटफार्म होगा।
जल्द शुरू होगी टेंडर प्रक्रिया
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से मेट्रो नियो का प्रस्ताव पास कर शासन को भेजा गया था। इसके बाद शासन से यह 1,850 करोड़ का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रालय को भेजा। मंत्रालय ने इसकी डीपीआर का थर्ड पार्टी रिव्यू कराया है, जिसमें कुछ सवाल पूछे गए थे इनका जवाब शासन ने मंत्रालय को भेज दिया है और यह पड़ाव पार हो चुका है। अब मंत्रालय ने मेट्रो को एलिवेटेड के बजाय सड़क किनारे चलाने सहित कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। यह बिंदुवार जानकारी भी यूकेएमआरसी ने शासन को भेज दी है जो कि शासन ने इसे मंत्रालय को भेज चुकी है। इसके बाद मंत्रालय विधि सहित तमाम संबंधित मंत्रालयों की इसकी रिपोर्ट भेजकर सुझाव मांगेगा। वहीं एमडी का कहना है कि मंत्रालय के करीब 3 स्टेप रह गए हैं और इन स्टेप को पूरा होने में करीब 5 से 6 महीने लगेंगे और प्रस्ताव पास होने के बाद यूकेएमआरसी की ओर से टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
पहले फेस के दो कॉरिडोर होंगे तैयार
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से राजधानी में पहले फेस के दो कॉरिडोर तैयार किये जायेंगे। जो की पहला कॉरिडोर आईएसबीटी से घण्टाघर के बीच और दूसरा कॉरिडोर एफआरआई से रायपुर के बीच बनेगा।आईएसबीटी से घंटाघर तक करीब 8 किलोमीटर का कॉरिडोर होगा,जिसमें 10 स्टेशन होंगे और एफआरआई से रायपुर तक करीब 13 किलोमीटर का कॉरिडोर होगा,जिसमें 15 स्टेशन रहेंगे।उसके बाद अगर दो कॉरिडोर सफल हो जाते है तो तीसरा कॉरिडोर रिस्पना से नेपाली फार्म के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।