चारा घोटाले से जुड़े पांचवे मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी पाने के बाद 5 साल जेल की सजा सुनाई है। इसके अलावा उनपर 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इससे पहले भी चार मामलों में लालू प्रसाद यादव को सजा हो चुकी है। वह अभी जमानत पर बाहर हैं। तीन साल से अधिक सजा होने के चलते अब लालू को उपरी अदालत से जमानत मिलने तक जेल में ही रहना होगा। स्वास्थ्य कारणों के चलते फिलहाल लालू रिम्स के पेइंग वार्ड में भर्ती है जिसे ही अस्थायी जेल बनाया गया है। दरअसल, लालू प्रसाद यादव वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये रिम्स के पेइंग वार्ड से आनलाइन कोर्ट में पेश हुए। सजा के ऐलान से पूर्व लालू की ओर से उनके वकील ने 16 बीमारियों का हवाला देते हुए कम से कम सजा देने की मांग की। जिसका सीबीआई के अधिवक्ताओं की ओर से विरोध किया गया।
सीबीआई की विशेष अदालत ने सरकारी धन के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और साजिश रचने के आरोप में आईपीसी की धारा 120बी, 420, 409, 467, 468, 471, 477ए और पीसी एक्ट की धाराएं 13 (2),13 (1), (सी) के तहत इस घोटाले में साजिश रचने के आरोप में दोषी करार दिया है। कहा जाता है कि चारा घोटाला ही वह पहला मामला था जिससे घोटाला शब्द से इतने बड़े स्तर पर लोगों का परिचय हुआ। डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ अवैध निकासी मामले में अदालत ने 15 फरवरी को लालू प्रसाद समेत 75 आरोपियों को दोषी करार दिया था, इसमें से 38 आरोपियों को छोड़कर बांकी सभी को पहले ही सजा सुना दी गयी है। लालू प्रसाद और एक अन्य आरोपी डॉक्टर कृष्ण मोहन प्रसाद अभी रिम्स में भर्ती है, जबकि 36 अभियुक्त बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद हैं।
क्या था पूरा मामला?
1996 में इस मामले सबसे पहले केस दर्ज हुआ था। 4 केस में लालू को पहले ही सजा हो चुकी है। 1990 से 1992 के बीच 139.35 करोड़ रुपए की निकासी की गई थी। इसमें कई सरकारी गवाह भी हैं। 24 अभियुक्त बरी किये गए हैं। सीबीआई की अदालत ने लालू समेत मामले से जुड़े 99 अभियुक्तों सशरीर अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था। अभियुक्तों में दस महिलाएं भी शामिल हैं। डोरंडा कोषागार से हुई अवैध निकासी के मामले में शुरू में कुल 170 आरोपित थे, इनमें 55 आरोपितों की मौत हो चुकी है। फिलहाल ट्रायल में 99 लोग शामिल हैं। इनमें को 24 को बरी कर दिया गया है। साक्ष्य व गवाह के अभाव में इन्हें बरी करार दिया गया है। बरी लोगों में दीनानाथ सहाय, एनुल हक, राजेंद्र पांडेय, साकेत शामिल हैं।